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जयपुर

Rajasthan Diwas 2024 : 75 साल का हुआ राजस्थान, जानिए क्यों पड़ा ये नाम और यहां की कई खास बातें

Rajasthan Sthapna Diwas 2024 : जयपुर। राजस्थान आज 75 साल का हो गया है। इस मौके पर हम आपको बताने जा रहे हैं कि राजस्थान नाम कैसे पड़ा और यहां सबसे पहले किसका शासन था।

जयपुरMar 30, 2024 / 10:54 am

Anil Prajapat

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Rajasthan Sthapna Diwas 2024 : जयपुर। राजस्थान आज 75 साल का हो गया है। सरदार वल्लभ भाई पटेल ने आज ही के दिन साल 1949 में जयपुर में एक समारोह में वृहद् राजस्थान का उद्घाटन किया था। राजस्थान आज पर्यटन की दृष्टि से दुनियाभर में अपनी विशेष पहचान रखता है। यहां सैकड़ों पर्यटन स्थल है, जहां रोजाना हजारों की संख्या में देशी-विदेशी पर्यटक भ्रमण के लिए आते हैं। राजस्थान दिवस के मौके पर हम आपको बताने जा रहे हैं कि राजस्थान नाम कैसे पड़ा और यहां सबसे पहले किसका शासन था।

 

प्राचीन समय में राजस्थान में आदिवासी कबीलों का शासन था। 2500 ईसा पूर्व से पहले राजस्थान बसा हुआ था और उत्तरी राजस्थान में सिंधु घाटी सभ्यता की नींव रखी थी। भील और मीना जनजाति इस क्षेत्र में रहने के लिए सबसे पहले आए थे। इसका उल्लेख आर्यों के धर्मग्रंथ ऋग्वेद में मिलता है। 13वीं शताब्दी के पूर्व तक पूर्वी राजस्थान और हाड़ौती पर गुर्जर सरदारों मीणा तथा दक्षिण राजस्थान पर भील राजाओं का शासन था। उसके बाद मध्यकाल में राजपूत जाति के विभिन्न वंशों ने राजस्थान में राज किया।

 

आजादी से पहले राजस्थान में अलग-अलग रियासतें थी, जहां अलग-अलग राजा शासन करते थे। लेकिन, आजादी के बाद जब देश में लोकतंत्र लागू हुआ तो राजाओं का शासन चला गया। आजादी के बाद अजमेर-मेरवाडा रियासत को छोड़कर शेष सभी 21 रियासतों पर देशी राजाओं का राज था। उस वक्त भारत सरकार के तत्कालीन देशी रियासत और गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल के प्रयासों से कुल 22 रियासतों को मिलाकर यह राज्य बना और राजपूताना के नाम से पहचाने जाने वाले प्रदेश को राजस्थान नाम दिया गया। यहां आजादी से पहले राजा-महाराजाओं ने राज किया। ऐसे में सरदार वल्लभभाई पटेल की सक्रियता से राजस्थान नाम दिया गया, जिसका मतलब है राजाओं का स्थान। राजस्थान के एकीकरण की प्रक्रिया 18 मार्च 1948 को शुरू हुई थी, जो सात चरणों में एक नवंबर 1956 को पूरी हुई थी। लेकिन, पटेल ने 30 मार्च, 1949 को जयपुर में एक समारोह के दौरान वृहद् राजस्थान का उद्घाटन किया था।

 

राजस्थान के एकीकरण को लेकर सबसे पहले 18 मार्च, 1948 को अलवर, भरतपुर, धौलपुर, करौली रियासतों का विलय हुआ। इसके बाद 25 मार्च, 1948 को कोटा, बूंदी, झालवाड़, बांसवाड़ा, डूंगरपुर, प्रतापगढ़, किशनगढ़ टोंक, कुशलगढ़ और शाहपुरा रियासतें का विलय हुआ। 18 अप्रैल 1948 को उदयपुर रियासत, 30 मार्च 1949 को जयपुर, जोधपुर, बीकानेर व जैसलमेर, 26 जनवरी 1950 को सिरोही रियासत और 1 नवंबर 1956 को आबू व देलवाड़ा रियासत का विलय हुआ था।

 

राजस्थान आज क्षेत्रफल में देश में सबसे बड़ा राज्य है। राजस्थान के क्षेत्रफल का फैलाव 342,239 वर्ग किमी. में है, जो भारत के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का 10.4 परसेंट है। वर्तमान में राजस्थान में कुल 10 संभाग है और 50 जिले हैं। जबकि पहले राजस्थान में 7 संभाग और 33 जिले थे। लेकिन, पिछले साल सीएम गहलोत ने दो जिलों का विलय करते हुए 19 नए जिले और 3 नए संभाग बनाने की घोषणा की थी। ऐसे में अब राजस्थान में कुल 10 संभाग और 50 जिले हैं।

 

राजस्थान के प्रमुख किलों की संख्या 13 हैं, जो दुनियाभर में विशेष पहचान रखते है। जिनमें जयपुर का आमेर और जयगढ़ किला, जोधपुर का मेहरानगढ़ किला, राजसमंद का कुम्भलगढ़ किला, सवाईमाधोपुर का रणथम्भोर किला, बीकानेर का जूनागढ़ किला, भरतपुर का लोहागढ़ किला हैं। इसके अलावा गागरौन किला, जैसलमेर का किला, सिरोही का अचलगढ़, नागौर का अहिछत्रगढ़, जालौर दुर्ग, सिरोही का खिमसर किला, अलवर का नीमराना किला, सिटी पैलेस भी प्रसिद्ध हैं।

 

राजस्थान में पुरातत्य एवं संग्रहालय विभाग के राज्य स्तरीय 342 संरक्षित स्मारक हैं। सर्वाधिक 65 संरक्षित स्मारक जयपुर जिले में हैं। राजधानी में ही कई ऐतिहासिक संरक्षित स्मारक हैं, जिनमें जंतर-मंतर, अल्बर्ट हॉल के अलावा नाहरगढ़ की बावड़ियां, पन्ना मीणा कुंड, घाट की गूणी की छतरियां, आमेर की दीवार के साथ मंदिरों के मिति चित्र शामिल हैं।

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