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जयपुर

Kotputli Borewell Incident: ना पानी की एक बूंद मिली… ना खाने को अन्न, किस हाल में होगी 7 दिन से बोरवेल में फंसी चेतना?

Kotputli Borewell Accident: चेतना को बोरवेल से निकालने के लिए लगातार 7वें दिन रविवार को भी रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। लेकिन, सुरंग बनाने में टीम को काफी दिक्कत आ रही है।

जयपुरDec 29, 2024 / 12:45 pm

Anil Prajapat

Kotputli Borewell Incident
जयपुर। कोटपूतली में तीन वर्षीय मासूम चेतना की जिंदगी 7 दिन से बोरवेल में फंसी है। ऐसे में ना उसे पानी की एक बूंद मिली है और ना ही खाने को अन्न। ऐसे में बड़ा सवाल है कि बोरवेल में फंसी चेतना किस हाल में होगी? चेतना की हालत को लेकर अधिकारी भी चुप हैं। इधर, परिजनों का रो-रोकर ​बुरा हाल है।
बता दें कि चेतना को बोरवेल से निकालने के लिए लगातार 7वें दिन रविवार को भी रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। रैट माइनर टीम के 10 जवान पिछले 26 घंटे से 170 फीट की गहराई में 10 फीट की सुरंग खोदने में लगे हुए है। लेकिन, अभी तक मात्र चार फीट ही खोद पाए है। अभी 6 फीट की सुरंग और खोदना है। हॉरिजेन्टल सुरंग बनने के बाद बालिका को बाहर निकाला जाएगा।

142 घंटे से बोरवेल में चेतना

कीरतपुरा की ढाणी बडियावाली में खेलते समय तीन साल की चेतना 23 दिसम्बर को दोपहर 2 बजे 150 फीट नीचे बोरवेल में गिर गई थी। जिसे अब तक बाहर नहीं निकाला जा सका है। बच्ची करीब 142 घंटे से भूखी प्यासी बोरवेल में फंसी हुई है।

5 दिन से बच्ची का कोई मूवमेंट नहीं

पांच दिन से तो कैमरे में भी बच्ची का कोई मूवमेंट नजर नहीं आ रहा है। जिसके कारण परिजन और ग्रामीण चिंतित है। हर कोई सिर्फ यही सोच रहा है कि आखिर बच्ची किस हालत में होगी।
Kotputli Borewell Incident

5 दिन से प्लान बी पर हो रहा काम

प्लान ए के कारगर नहीं होने पर प्लान बी के तहत 25 दिसम्बर से दूसरे बोरवेल की खुदाई शुरू कर सुरंग बनाने का कार्य शुरू किया। लेकिन, 170 फीट तक खुदाई के बाद सुरंग के रास्ते की भूमि पथरीली व सख्त होने से तोड़ने में दिक्कतें आ रही है।
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पाइप डालने के बाद एनडीआरएफ व रेट माइनर टीम के विशेषज्ञ शनिवार सुबह 10 बजे बोरवेल में नीचे उतरे। इसके बाद ड्रिल मशीन से सुरंग की खुदाई शुरू की। लेकिन, रविवार सुबह 12 बजे तक चार फिट ही सुरंग खोदी जा सकी है।
Kotputli Borewell Incident

हर घंटे बदले जा रहे जवान

सुरंग बनाने के लिए नीचे उतरने वाले जवानों को हर घंटे में बदला जा रहा है। एक घंटे तक ड्रिल मशीन से लेटकर खुदाई करने में थकान होने व ऑक्सीजन का लेवल कम होने से हर घण्टे में जवान बदले जा रहे थे। सुरंग का पत्थर हार्ड होने से तोड़ने में समय लग रहा था। अभी तक रेस्क्यू में परिस्थितियां अनुकूल नहीं होने से रेस्क्यू में कई बाधाएं आ रही है।
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परिजन व आमजन चिंतित

बच्ची के अब तक बोरवेल से बाहर नहीं निकलने से परिजन व आमजन चिंतित है। प्लान ए के बाद प्लान बी शुरू करने में देरी से भी सवाल खड़े हो रहे है। लोगों का कहना है कि यदि प्लान ए व बी उसी समय शुरू कर देते तो बालिका को बाहर निकालने में समय नहीं लगता।

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