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भाई कुलतार सिंह ने इंदिरा गांधी को दी:
प्रकाश ने बताया कि भगत सिंह की फांसी के बाद यह नोटबुक अंग्रेज अफसरों ने उनके परिजन को दी। वर्ष 1973-74 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी पंजाब दौरे पर गईं, तब भगत सिंह के भाई कुलतार सिंह ने उन्हें यह नोटबुक दी थी। इंदिरा के हाथ से नोटबुक भीड़ मं गिर गई थी, जिसे पुलिस ने बरामद कर पोथीखाने में रखवा दिया था। बाद में मित्रोखिन इस नोटबुक को अपने साथ रूस ले गए थे।
नोटबुक में महत्वपूर्ण विचारकों का जिक्र
प्रकाश ने बताया कि सोवियत एम्बेसी में कल्चरल सेक्रेटरी रहे वेसिली मित्रोखिन ने इस हस्तलिखित नोटबुक को टाइप करवाके कई कॉपियां बनाई थीं। प्रकाश वर्ष 1979 में ‘इंडियन रेवोल्यूशनरीज एब्रॉड’ विषय पर पीएचडी के दौरान मास्को गए। जहां उनके सुपरवाइजर डॉ. देवेन्द्र कौशिक ने इस नोटबुक के बारे में बताया। वे मित्रोखिन के घर पहुंचे और एक कॉपी प्राप्त की। बाद में 150 से ज्यादा पन्नों की इस नोटबुक को आईपीएस बी. हूजा ने भगत सिंह से संबंधित अपनी किताब में प्रकाशित किया।
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सुपरवाइजर ने बताया नोटबुक के बारे में
प्रकाश ने नोटबुक के बारे में बताया कि भगतसिंह ने जेल में पढ़ने के दौरान कार्ल मार्क्स, जॉर्ज वॉशिंगटन, लेनिन, ज्यूरिस्ट प्रीसिडेंट्स, सोशल चेंज, फ्रीडम, समानता, नो रिलिजन पर भी लिखा था। नोटबुक से भगतसिंह एक क्रांतिकारी की बजाय सोशल एक्टिविस्ट ज्यादा नजर आते हैं। उन्होंने अकेले ‘नौजवान भारत सभाद्य का गठन किया, जिसे बाद में उन्होंने हिंदोस्तान सोशल रिपब्लिक एसोसिएशनद्य में बदल दिया। इत्तेफाक से 28 सितंबर को प्रकाश का भी जन्मदिन होता है।