Sky Night Tourism: पर्यटन विभाग कर रहा है तैयारियां, रेस्टोरेंट को दिया जाएगा नया लुक
पहले बात करने में होती थी हिचक
गोपालपुरा निवासी सोलो ट्रैवलर आराधना चतुर्वेदी ने बताया कि एक दौर था जब वह घर से बाहर अकेले जाने में भी घबराती थी। घूमने का उन्हें शुरू से शौक रहा है। डर को खत्म करने के लिए उन्होंने सोलो-ट्रैवलिंग करना शुरू किया। शुरुआत में काफी दिक्कत आती थी। उन्हें डर भी लगता था। धीरे-धीरे उन्हें अपने व्यक्तित्व में फर्क दिखाई देने लगा। जहां पहले वह लोगों से बात करने में घबराती थीं, अब वह हर जगह जाकर वीडियो, ब्लॉग बनाने का साहस रखती हैं।
26% महिलाएं पसंद करती हैं अकेले घूमना।
10% से ज्यादा महिलाएं ऑनलाइन सोलो ट्रैवेलिंग के बारे में पढ़ती हैं।
36% महिलाएं व्यक्तिगत विकास के लिए सोलो ट्रैवेलिंग को जरूरी मानती हैं।
सुरक्षा का भी रखते हैं ध्यान
सोलो ट्रैवलर्स का कहना है कि अकेले ट्रैवलिंग के दौरान वह खुद की सुरक्षा का पूरा ध्यान रखती हैं। लाइव लोकेशन शेयरिंग, परिजन से संपर्क में रहना और स्थानीय पुलिस स्टेशन का नंबर हमेशा अपने पास रखती हैं। बातचीत के दौरान भी सतर्क रहती हैं।
अकेले घूमने से खुद पर बढ़ता भरोसा
सोलो ट्रैवलर दिविशा भाटिया ने बताया कि इससे निर्णय लेने की क्षमता बढ़ती है। कई बार ऐसे हालात बन जाते हैं, जिसका सामना आपको अकेले करना पड़ता है। ऐसे में सारे निर्णय खुद लेने पड़ते हैं। सोलो ट्रैवलिंग से अलग-अलग लोगों से बातचीत करने का और उन्हें जानने का मौका मिलता है। जब आप अकेले ट्रैवल करते हैं तो मनी मैनेजमेंट भी अच्छे से सीख सकते हैं। खुद पर आपका भरोसा बढ़ता है।