ज्योतिषाचार्य पंडित सोमेश परसाई बताते हैं कि पौराणिक शास्त्रों में आर्थिक दिक्कत दूर करने के लिए रुकमणी देवी की पूजा करने की बात भी कही गई है। इसके लिए सुबह स्नान आदि से निवृत्त होकर सूर्यदेव को जल अर्पित कर विष्णुजी का ध्यान करते हुए पूजा व व्रत का संकल्प लें। इसके बाद विधि विधान से श्रीकृष्ण और देवी रुकमणी की पूजा करें। लक्ष्मीजी के विग्रह की भी पूजा करें।
दक्षिणावर्ती शंख में स्वच्छ जल भरकर प्रतिमाओं का जलाभिषेक करें। केसर मिश्रित दूध से दुग्धाभिषेक करें। पूजा करते समय मंत्रों का जाप करते रहें। भगवान श्रीकृष्ण और देवी रुक्मणी को चंदन, फूल, इत्र आदि से अर्पित करें। श्रीकृष्ण को पीला और देवी रुक्मिणी को लाल वस्त्र अर्पित कर पंचामृत, तुलसी, पंचमेवा, फल और मिष्ठान्न का भोग लगाएं। विशेष रूप से खीर का भोग लगाएं।
देवी रुकमणी श्रीकृष्ण की पटरानी थीं। श्रीकृष्ण और उनकी विवाह की रोचक कथा है। रुकमणी के भाई उनकी शादी शिशुपाल से करना चाहते थे लेकिन वे भगवान श्रीकृष्ण को पतिरूप में स्वीकार कर चुकीं थीं। जिस दिन शिशुपाल से उनका विवाह होने वाला था उस दिन वे मंदिर गईं। वे पूजा करके बाहर आईं तो रथ पर सवार श्रीकृष्ण ने उनको रथ में बिठाया और उन्हें द्वारका ले जाकर उनसे विवाह कर लिया।