वेणुगोपाल ने 10 अगस्त को बनाई थी सुलह कमेटी-
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की कार्यप्रणाली से नाराज होकर सचिन पायलट ने समर्थक विधायकों के साथ बगावत कर दी थी। एक माह से अधिक समय तक गहलोत-पायलट खेमे के विधायक अलग-अलग बाड़ाबंदी में रहे थे। इसके बाद 10 अगस्त 2020 को पायलट अपने समर्थक विधायकों के साथ राहुल-प्रियंका गांधी से मिले और पायलट की मांगों के समाधान को लेकर एआइसीसी संगठन महासचिव के. सी. वेणुगोपाल ने तीन सदस्यीय सुलह कमेटी का ऐलान किया था। इस कमेटी में स्वयं वेणुगापोल, प्रदेश प्रभारी महासचिव अजय माकन और वरिष्ठ नेता अहमद पटेल को शामिल किया गया था। पटेल का पिछले दिनों निधन हो चुका है।
माकन ने कहा था: मैं ही दिल्ली-
कुछ दिन पहले ही अजय माकन ने विधानसभा में दो दिन तक एक-एक विधायक से बात कर फीडबैक लिया था। उसमें भी पायलट खेमे के विधायकों ने मांगों पर त्वरित कार्रवाई को लेकर बात रखी थी। इसके बाद निर्णय को लेकर मीडिया से माकन ने कहा भी मैं ही दिल्ली हूं। पर वे दिल्ली जाने के बाद अब तक भी कोई समाधान नहीं निकाल सके हैं।
पायलट खेमे की मांग-
सचिन पायलट अपने खेमे के वरिष्ठ विधायकों को मंत्री बनाने के साथ ही राजनीतिक नियुक्तियों में उन पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को तवज्जो देने की मांग कर रहे हैं, जिन्होंने पार्टी के लिए खून-पसीना बहाया है। लेकिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की पायलट खेमे के लोगों को सत्ता में भागीदारी को लेकर बात नहीं बन पा रही है। हालांकि प्रयास कई बार हुए हैं। मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर भी कई बार कोशिशें हो चुकी हैं, लेकिन अभी अंतिम निर्णय नहीं हो सका है।