राजस्थान के शहीद शीशराम गिल की बहादुरी की दी जाती है मिसाल, कारगिल जंग में दुश्मनों के छुड़ाए थे छक्के
Martyr Shishram Gill in Kargil War : राजस्थान के झुंझुनूं जिले के बिशनपुरा गांव के शहीद शीशराम गिल ने बहादुरी की मिसाल पेश की। अपनी वीरता से शीशराम गिल ने पाकिस्तान के छक्के छुड़ा दिए थे। शीशराम गिल टाइगर हिल पर ऑपरेशन विजय के वक्त 9 जुलाई 1999 को शहीद हो गए थे।
भारत और पाकिस्तान के बीच वर्ष 1999 में कारगिल की जंग हुई। इस जंग में राजस्थान के झुंझुनूं जिले के कई वीर सैनिकों ने अपनी जान की परवाह न करते हुए कारगिल युद्ध पर विजय प्राप्त करने में मदद की। इस विजय ने भारत का परचम दुनिया में बुलंद किया। कारगिल युद्ध की विजय की राह आसान करने में एक नाम शहीद शीशराम गिल का भी है। जिन्होंने अपनी वीरता, पराक्रम और जिद से पाकिस्तान की नाक में नकेल डाल दी। बहादुरी की जब भी मिसाल दी जाती है तो उसमें एक नाम शहीद शीशराम गिल का भी बड़े सम्मान से लिया जाता है।
राजस्थान के झुंझुनूं जिले के बिशनपुरा गांव के निवासी शीशराम गिल ने 1999 में भारत और पाकिस्तान के बीच लड़े गए कारगिल युद्ध में अहम रोल अदा किया। 17 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित टाइगर हिल पर ऑपरेशन विजय की 8 जाट रेजीमेंट के हवलदार शीशराम गिल ने कमांडो टीम की अगुवाई की।
हार नहीं मानी लगातार दुश्मन की गोलियों का किया सामना
टाइगर हिल समुद्र तल से 5062 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। कारगिल युद्ध में टाइगर हिल बेहद अहम था। इस जंग में आज भी टाइगर हिल पर इंडियन आर्मी के कब्जे को एक टर्निंग प्वाइंट के तौर पर माना जाता है। टाइगर हिल पर कब्जे में शीशराम गिल ने जीजान लगा दिया था। युद्ध में चढ़ाई के दौरान बुरी तरह से घायल होने के बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी।
दुश्मन के आर्टीलरी और मोर्टार फायर से घायल होने के बावजूद वह लक्ष्य को हासिल करने की जिद पर अड़े रहे थे। बुरी तरह से जख्मी होने के बावजूद स्नाइपर और एलएमजी बर्स्ट से दुश्मन की पोस्ट पर लगातार हमला जारी रखा। वीरता से लड़ते हुए शीशराम गिल 9 जुलाई 1999 को शहीद हो गए थे। उनकी इस वीरता का सम्मान करते हुए भारत सरकार ने शीशराम गिल को वीर चक्र से सम्मानित किया।