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जयपुर

भगवान करे… इस तरह का आदर्श बाजार अब और कहीं न बने, बाजार की बड़ाई की तो फूट पड़े लोग

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जयपुरOct 19, 2018 / 09:19 am

dinesh

Adarsh Bazar
– जया गुप्ता

जयपुर। राजधानी की व्यस्ततम सडक़ के किनारे बसा मालवीयनगर विधान सभा क्षेत्र का बरकतनगर इलाका। शाम के वक्त सडक़ पर ऐसी चहल-पहल, मानो कोई त्यौहार हो। पिछले 3 चुनावों से बीजेपी का गढ़ रहे इस क्षेत्र का हाल जानने बरकतनगर पहुंची तो पहला सामना जाम से हुआ। टोंक फाटक के रेलवे फाटक पर लगे लम्बे जाम ने खुद कह दिया कि जाम की तरह यहां समस्याओं का भी अंबार है। टोंक फाटक और महेशनगर फाटक पर लगने वाले जाम से बरकतनगर, महेशनगर और आसपास इलाकों के करीब एक लाख लोग रोजाना परेशान होते हैं।
फाटक पार कर दूसरी तरफ पहुंची तो सडक़ पर लोगों की रेलमपेल थी। दुकानों पर युवा ही युवा थे। कोई किताब खरीद रहा था, कोई नोट्स की फोटोकॉपी करा रहा था। यहां से बीस मीटर आगे हरे रंग के बड़े बोर्ड लिखा था बरकतनगर-आदर्श बाजार। यहां से आगे बढ़ी तो गुलाबीनगर की पहचान नजर आई। गुलाबी रंग से पुती दुकानें चारदीवारी से बाहर पहली बार यहीं देखी। कुछ दूर आगे चली तो नाश्ता ठेले पर खड़े लोगों व विद्यार्थियों के बीच मैंने कहा, कितना अच्छा बाजार है, ऐसा बाजार तो हर एरिया में बनना चाहिए। फिर क्या था, लोग फूट पड़े। बोले, भगवान करे ऐसा आदर्श बाजार कहीं नहीं बने। मदन जैन ने कहा, 2 किलोमीटर लम्बा बाजार है, 10-15 हजार लोग रोजाना आते हैं लेकिन सुलभ शौचालय तक नहीं है। डेढ़ दशक से कालीचरण सराफ विधायक हैं, उन्होंने 4 साल पहले बरकतनगर को आदर्श बाजार का दर्जा तो दिया मगर इस बाजार ने हमें जीवनभर का ‘दर्द’ दे दिया।
आवासीय इलाके में व्यावसायिक गतिविधियां हो रही हैं। ज्यादातर लोगों ने घरों में लाइब्रेरी बना ली। दुकानें, शोरूम शुरू कर दिए। सोनू सोनी ने कहा, आदर्श बाजार बनने के बाद यह इलाका एजुकेशन का हब बन गया। बाहर से आए हजारों लडक़े-लड़कियां यहां रह रहे हैं। घरों में पीजी-हॉस्टल खुल गए। बाजार दिनभर और देर रात तक चलता है लेकिन पार्किंग की कोई व्यवस्था नहीं है। लोग गलियों में गाडिय़ां खड़ी कर चले जाते हैं। इससे पूरा बाजार जाम रहता है। व्यावसायिक गतिविधियों को लेकर पुलिस में मामला तक दर्ज कराया लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। इतने में ङ्क्षरकी सोनी बोलीं, आदर्श बाजार बनने के बाद अपराध बढ़ गए हैं। चोरियां बहुत होने लगी हैं। बच्चों को अकेले बाहर छोडऩे से भी डर लगता है। बच्चे घरों में कैद होकर रह गए हैं। इस बीच बच्चों को घुमाने आईं नीतू जोशी व ऋतु मंगल बोलीं, फाटक पर अण्डरपास नहीं है। ट्रेन आती है तो बाजार तक जाम लग जाता है। कई बार एक-एक घंटा लेट हो जाते हैं।
यहां से आगे बढऩे पर युवाओं का एक समूह मिला। चर्चा छेड़ी तो सीए की पढ़ाई कर रहे विश्वास मित्तल ने कहा, युवाओं का देश है मगर रोजगार नहीं है। सरकार ने इतनी भर्तियां निकाली मगर एक भी ठीक से पूरी नहीं कर पाई। आरएएस जैसी परीक्षा के अभ्यर्थी वर्षों से पोस्टिंग का इंतजार कर रहे हैं। विश्वास मित्तल ने कहा, अच्छा है मैं ऐसे फील्ड में हूं जहां आरक्षण नहीं है। जो जितना पढ़ेगा, उसे उतना मिलेगा। सबको समान अवसर। ऐसा हर जगह होना चाहिए।

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