राजस्थान प्रशासनिक सेवा परिषद ने दाखिल की थी याचिका
राजस्थान सरकार कई वर्षों अपने चहेते अफसरों को आईएएस में पदोन्नत करती रही है। मंत्री ममता भूपेश के पति घनश्याम बैरवा पहले डॉक्टर थे। दो साल पहले गहलोत सरकार ने घनश्याम बैरवा को आईएएस में पदोन्नत कर दिया था। फिलहाल वे श्रम विभाग में कमिश्नर हैं। चहेते अफसरों के नामों का पैनल सरकार केन्द्र सरकार को भेजती है। केंद्र सरकार की मंजूरी के बाद अन्य सेवाओं के अफसर भी आईएएस बन जाते हैं। राजस्थान प्रशासनिक सेवा परिषद ने इस प्रक्रिया को गलत बताते हुए हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की। परिषद की ओर से इस याचिका की पैरवी एडवोकेट तनवीर अहमद ने की थी।
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देश में आईएएस बनने के हैं तीन तरीके
देश में आईएएस तीन तरीके से बन सकते हैं। पहला यूपीएससी परीक्षा। इसका कोटा 66.67 प्रतिशत। दूसरा राज्य प्रशासनिक सेवा के अफसरों को पदोन्नति। कोटा 33.33 प्रतिशत है। तीसरा तरीका विशेष परिस्थितियों में राज्य सेवा के अतिरिक्त अन्य सेवाओं के अफसरों को भी आईएएस में प्रमोशन। इसका कोटा 33.33 प्रतिशत का 15 प्रतिशत ही है। इस प्रक्रिया से राज्य सरकार 4 या 5 अफसरों को आईएएस में पदोन्नति देती है। आरएएस परिषद लम्बे समय से इसका विरोध कर रही है।
सरकार ने विशेष परिस्थितियों को मान रही रिजर्व कोटा
एडवोकेट तनवीर अहमद ने बताया, राज्य सरकार विशेष परिस्थितियों में अन्य सेवाओं से आईएएस में पदोन्नत कर सकती है लेकिन जब राज्य सेवा के पर्याप्त अफसर हैं। वे सीनियर भी हैं और प्रमोशन पाने के हकदार हैं। इसके बावजूद भी सरकार अन्य सेवाओं के चहेते अफसरों को हर एक या दो साल में आईएएस बनाती रहती है। विशेष परिस्थितियों को राज्य सरकार ने रिजर्व कोटा मान लिया। ऐसा करना राज्य प्रशासनिक सेवाओं के अफसरों के साथ अन्याय है। हाईकोर्ट ने भी इस बात पर सहमति जताई है।
प्रक्रिया पर अंतिम रोक लगाई
एडवोकेट तनवीर अहमद ने बताया, याचिका लगाने के बाद भी एक तरफ तो सरकार जबाव देने के लिए समय मांग रही है। दूसरी तरफ अलग अलग विभागों से पात्र अफसरों के नाम मांगें जा रहे हैं जिन्हें प्रमोशन देना है। हाईकोर्ट ने इस प्रक्रिया पर अंतिम रोक लगा दी है।
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