राजस्थान की भजन लाल शर्मा सरकार के पहले बजट (लेखानुदान) के दौरान सदन से गैर मौजूद रहने वालों में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट मौजूद नहीं थे। इन तीनों वरिष्ठ नेताओं का सदन में ना होना राजनीतिक गलियारों से लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स तक में चर्चा का विषय बना रहा।
गहलोत-राजे-पायलट भले ही सदन में दिखाई नहीं दिए, लेकिन उनकी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के ज़रिए वर्चुअल मौजूदगी ज़रूर नज़र आई। वसुंधरा राजे ने जहां बजट को प्रदेश के समग्र विकास और पीएम मोदी की गारंटियों को पूरा करने आला बजट बताया, तो वहीं गहलोत-पायलट ने इसे पूरी तरह से नकार दिया।
”लेखानुदान में प्रदेश के लिए विजन की बजाय पूर्ववर्ती सरकार पर आरोप ही दिखाई दिए हैं। सरकार ने “मोदी की गारंटी” की हवा निकाल दी है क्योंकि मोदी जी ने चुनाव में राजस्थान में पेट्रोल-डीजल की कीमतें भाजपा शासित पड़ोसी राज्यों के समान करने की गारंटी दी थी, लेकिन इसका जिक्र तक नहीं हुआ। पृथक कृषि बजट को भी सरकार ने समाप्त कर दिया है।” — अशोक गहलोत, पूर्व मुख्यमंत्री
”नए राजस्थान के समग्र विकास को समर्पित बजट है। 70 हज़ार सरकारी पदों पर भर्तियां, 300 यूनिट तक निःशुल्क बिजली, 450 रु में गैस सिलेंडर, किसान क्रेडिट कार्ड की तर्ज पर ‘गोपाल क्रेडिट कार्ड’, 25 लाख परिवारों को नल से जल, बुजुर्गों को रोडवेज बस किराए में 50% की छूट, मंदिरों के विकास कार्य, जयपुर मेट्रो लाइन का विस्तार, पेंशन में 150 रु की वृद्धि तथा 5 लाख घरों में सोलर प्लांट लगाने जैसे कई महत्वपूर्ण निर्णय हैं। यह बजट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गारंटियों को पूरा करने वाला बजट है।” — वसुंधरा राजे, पूर्व मुख्यमंत्री
[typography_font:14pt;” >” लेखानुदान में प्रदेश की जनता को निराशा ही हाथ लगी है। अन्नदाताओं के लिए अलग बजट भाजपा सरकार द्वारा खत्म कर दिया है। पेट्रोल-डीजल कीमतों में कोई कटौती न करके लोगों का भरोसा तोड़ा गया है। युवाओं के रोजगार, महिला सुरक्षा, सामाजिक सुरक्षा, शिक्षा, स्वास्थ्य, बढ़ती महंगाई जैसे आमजन से जुड़े विषय पर ठोस घोषणा इस बजट से नदारद दिखाई दी। प्रदेश के विकास से हटकर केवल पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार पर दोषारोपण मात्र किया है।” — सचिन पायलट, पूर्व डिप्टी सीएम