विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने कार्यभार संभालने के बाद मुख्य सचिव सुधांश पंत के साथ हुई बैठक में चर्चा की थी कि लोकसभा की तरह ही विधानसभा में भी प्रश्नों के जवाब समय पर आएं। कम से कम ऐसी व्यवस्था तो हो कि एक सत्र में लगे प्रश्नों के जवाब अगले सत्र के शुरू होने से पहले आ जाएं। भाजपा सरकार का दूसरा सत्र जून में शुरू होने वाला है, लेकिन प्रश्नों के जवाब आने के ढर्रे में कोई सुधार नहीं आया है। पहले सत्र में विधायकों की ओर से करीब दो हजार प्रश्न लगाए गए थे, लेकिन अब तक 1100 से ज्यादा प्रश्नों के जवाब आए ही नहीं।
दो बार लिखे जा चुके मुख्य सचिव को पत्र
विधानसभा सचिवालय की ओर से तीन माह में दो बार मुख्य सचिव को प्रश्नों के जवाब समय पर भिजवाने के लिए पत्र लिखे जा चुके हैं। मुख्य सचिव की ओर से भी विभिन्न विभागों को पत्र लिखे जा रहे हैं, लेकिन जिस गति से विधायकों के सवालों पर काम होना चाहिए। उस गति से काम नहीं हो रहा है।
18 विभागों में सबसे ज्यादा लम्बित मामले
विधायकों के कुल 51 सरकारी विभागों में सवालों के जवाब लम्बित हैं। इनमें राजस्व, उच्च शिक्षा, शिक्षा, ऊर्जा, कृषि, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति, गृह, खान, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, जल संसाधन, पेयजल, नगरीय विकास, स्वायत्त शासन, पंचायती राज, परिवहन, वन, वित्त, सहकारिता विभाग में सबसे ज्यादा प्रश्न लम्बित हैं।
हर बार का यही ढर्रा
विधायकों के प्रश्नों का जवाब देने का नौकरशाही का ढर्रा लम्बे समय से ऐसा ही चल रहा है। विधानसभा अध्यक्ष रहे कैलाश मेघवाल के समय तो ऐसी िस्थति बन गई थी कि उत्तर नहीं आने वाले प्रश्नों की संख्या हजारों में पहुंच गई थी। आखिरकार वह प्रश्न बिना उत्तर दिए ही खत्म करने पड़े। विधानसभा के इतिहास में ऐसा पहली बार ही हुआ, जब प्रश्नों को खत्म करना पड़ा। विधानसभा अध्यक्ष रहे सीपी जोशी ने भी प्रश्नों के उत्तर समय पर दिलवाने की कोशिश की, लेकिन ऐसा नहीं हो सका।