उन्होंने सदन में प्रतिपक्ष के कम लोगों की मौजूदगी पर कहा कि शायद कोई स्थिति ऐसी होगी, लेकिन उन्हें “पधारो मारे राजस्थान” की संस्कृति को नहीं भूलना चाहिए। इस दौरान सदन में मौजूद कांग्रेस विधायक सुभाष गर्ग ने कहा कि सूचना का अभाव था। जिस पर उपराष्ट्रपति ने कहा कि सोशल मीडिया के युग में हम यह नहीं कह सकते की सूचना का कोई अभाव था। उपराष्ट्रपति ने कहा कि हमारे भारत की हजारों साल की संस्कृत विरासत को अब दुनिया पहचान चुकी है G-20 में सबने देख लिया। भारत की सामाजिक सांस्कृतिक और आर्थिक दृष्टि से अब बदल रहा है। अब भारत दुनिया में किसी का मोहताज नहीं है। आज भारत दुनिया की पांचवी महाशक्ति है जापान और जर्मनी को पीछे छोड़ते हुए आगामी दिनों में तीसरी बड़ी मा शक्ति बन जाएगा।
तभी राज्य का भला रहेगा
उपराष्ट्रपति ने कहा सदन एक परिवार की तरह चलेगा तभी राज्य का भला होगा। पक्ष हो या विपक्ष हो प्रतिभा की कोई कमी नहीं है। सत्ता पक्ष को हमेशा यह ध्यान रखना पड़ेगा कि सामने वाला विरोधी नहीं है। सामने वाले जो बात कहता है वह जनहित की है। हमें विकास को राजनीतिक चश्मे से नहीं देखना चाहिए। आजादी के बाद भारत में प्रगति की है किसी चरण में ज्यादा और किसी चरण में काम प्रगति हुई है।
सदन नहीं चलता तो सरकार को होती है प्रसन्नता
धनखड़ ने कहा कि कार्यपालिका को कटघरे में खड़ा करना सही रास्ता दिखाना पूरे सदन का काम है। सदन नहीं चलने पर सबसे ज्यादा प्रसन्नता सरकार को होती है, क्योंकि उन्हें सदन में जवाब नहीं दिन देना पड़ता, लेकिन नुकसान भी सरकार को ही है। उन्हें प्रतिपक्ष के सदस्यों के अनुभव का फायदा नहीं मिल पाता।
अजमेर में देवनानी ने मेरा खूब विरोध किया
धनखड़ ने कहा कि राजनीतिक अखाड़े में देवनानी ने अजमेर में मेरा खूब विरोध किया है, लेकिन हमारे संबंध बरकरार हैं। दायरे में रहकर कटाक्ष करना कोई देवनानी से सीखे। उन्होंने राजनीतिक दलों से आग्रह किया कि सदस्य अपनी प्रतिभा को जब ही दिखा पाएंगे, जब अनेक विषय पर आप उनको पूरी बात कहने का मौका दें।
सीएम से बोले, कम समय में मिली लोकप्रियता
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की तरफ इशारा करते हुए धनखड़ ने कहा कि यह सौभाग्यशाली है और उन्हें मुख्यमंत्री बनने का सौभाग्य मिला। यह इस बात की संकेत मिलते हैं कि भारत बदल रहा है तो यहां कुछ भी संभव है। कम समय में भजनलाल शर्मा ने लोकप्रियता हासिल की है, कम समय में मिली लोकप्रियता को बढ़ाना और बचाना चुनौती है।
अपना व्यवहार शालीन रहना चाहिए
इससे पहले विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने उप राष्ट्रपति का स्वागत किया और अपने उद्बोधन में कार्यक्रम की रूपरेखा रखी। उन्होंने कहा कि यह प्रबोधन कार्यक्रम सभी विधायकों के लिए उपयोगी है। हमें सदन में ऐसा व्यवहार करना चाहिए की जनता के बीच अच्छा संदेश जाए। अपना व्यवहार शालीन रहना चाहिए। सदन में मनभेद ना हो ऐसा व्यवहार बनाना चाहिए।
पक्ष-विपक्ष का नहीं, सदन सबका
सीएम भजनलाल शर्मा ने कहा कि इस कार्यक्रम के जरिए हमें संसदीय कार्यों की बेहतर समझ विकसित करने का मौका मिलेगा। बीते वर्षों में संसदीय प्रक्रिया के तहत कोई भी सदस्य जनता की शिकायतों को प्रबलता से उठा सकता है। विधानसभा का समय बहुमूल्य है। इसके कामकाज का असर करोड़ों लोगों के जीवन पर पड़ता है। विधानसभा में पहुंचने के बाद हमारा दायित्व तंत्र पूरे प्रदेश तक विस्तृत हो जाता है। विधायक को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वह केवल अपने क्षेत्रीय समस्याओं तक सीमित नहीं रहे, बल्कि संपूर्ण राजस्थान की समस्याओं पर भी अपने विचार प्रस्तुत करें। यह सदन सबका है, यह पक्ष विपक्ष का नहीं है। यह सदन हमारा है। यह सदन एक ऐसा मंच है, जहां जनता की अपेक्षाओं को प्रभावी ढंग से उठाकर अपनी भूमिका तय कर सकते हैं।