शनि बिना विभाग के मंत्री सौर मंडल के मंत्री शनिदेव बिना विभाग के मंत्री है। शनिदेव को कोई विभाग नहीं दिया गया, जबकि राजा मंगल के पास सस्येश व नीरेश दो विभाग है। वहीं शुक्र के पास तीन विभाग फलेश, दुर्गेश व मेघेश है। वहीं सूर्यदेव के पास धान्येश, देवगुरु बृहस्पति के पास रसेस और चंद्रमा के पास धनेश विभाग है।
एक साल का रहता है कार्यकाल
ज्योतिषाचार्य पं. अक्षय शास्त्री के अनुसार निर्वाचित ग्रहों का कार्यकाल एक वर्ष का होता है। इस वर्ष आकाशीय मंडल के निर्वाचन में राजा यानी प्रधान मंत्री का पद मंगल को प्राप्त होने वाला हैं। यानी इस संवत्सर के राजा मंगल होंगे। वहीं मंत्री पद शनिदेव को मिलेगा। जबकि पिछले वर्ष बुध राजा और शुक्र मंत्री शुक्र थे। वैदिक ज्योतिष के अनुसार, राजा मंगल होने की वजह से हिंदू नव वर्ष अति महत्वाकांक्षी होने वाला है क्योंकि मंगल साहस, पराक्रम, सेना, प्रशासन, सिद्धांत आदि के कारक ग्रह हैं। साथ ही देश दुनिया में ऐसी कई घटनाएं हो सकती है, जिससे लोग अचंभित और हैरान हो सकते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, राजा मंगल का प्रभाव पूरे संवत में देखने को मिलेगा और इसका प्रभाव सभी 12 राशियों पर भी पड़ेगा।
ज्योतिषाचार्य सुरेश शास्त्री के अनुसार नवसंवत्सर की शुरुआत तीन राजयोगों में हो रही है। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग व सिद्धि योग का संयोग बन रहा है। नववर्ष की शुरुआत रेवती नक्षत्र में होने से प्रकृति संतुलन बना रहेगा। रेवती नक्षत्र पंचक का पांचवां नक्षत्र है, जिसका अधिपति पूषा है। ऋग्वेद की मान्यता के अनुसार यह प्रकृति के संतुलन का देवता है।