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जयपुर

आम चुनाव से पहले बदल जाएगी इनकी सरकार, ये बनेंगे प्रधानमंत्री

भारत में लोकसभा चुनाव से पहले सौर मंडल का मंत्री मंडल बदल जाएगा। नवसंवत्सर 2081 में ग्रहों के सेनापति मंगल राजा होंगे जबकि न्याय के देवता शनिदेव मंत्री बनेंगे।

जयपुरApr 07, 2024 / 02:18 pm

Devendra Singh

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जयपुर। भारत में लोकसभा चुनाव से पहले सौर मंडल का मंत्री मंडल बदल जाएगा। नवसंवत्सर 2081 में ग्रहों के सेनापति मंगल राजा होंगे जबकि न्याय के देवता शनिदेव मंत्री बनेंगे। पंचांगीय गणना के अनुसार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से हिंदू नव वर्ष का प्रारंभ होता है। इस बार संवत्सर 2081 का आरंभ 9 अप्रेल से हो रहा है। इस संवत्सर का नाम कालयुक्त होगा। इस दिन रेवती व अश्वनी नक्षत्र रहेगा। जिस दिन से संवत्सर की शुरुआत होती है, उस दिन का दिनाधिपति उस वर्ष का राजा होता है। मंगलवार के दिन के मान से इस साल के राजा मंगल होंगे। वहीं, सूर्य के मेष राशि में प्रवेश के अनुसार, वर्ष का मंत्री नियुक्त किया जाता है। इसके अनुसार नव वर्ष के मंत्री शनि होंगे। इस वर्ष ग्रहों के दशाधिकार में 7 विभाग क्रूर ग्रहों को और 3 विभाग शुभ ग्रहों को मिले हुए हैं। मंगल के राजा और शनि के मंत्री होने से यह वर्ष बहुत ही उथल-पुथल वाला रहेगा। शासन में कड़ा अनुशासन देखने को मिलेगा।

शनि बिना विभाग के मंत्री

सौर मंडल के मंत्री शनिदेव बिना विभाग के मंत्री है। शनिदेव को कोई विभाग नहीं दिया गया, जबकि राजा मंगल के पास सस्येश व नीरेश दो विभाग है। वहीं शुक्र के पास तीन विभाग फलेश, दुर्गेश व मेघेश है। वहीं सूर्यदेव के पास धान्येश, देवगुरु बृहस्पति के पास रसेस और चंद्रमा के पास धनेश विभाग है।

एक साल का रहता है कार्यकाल
ज्योतिषाचार्य पं. अक्षय शास्त्री के अनुसार निर्वाचित ग्रहों का कार्यकाल एक वर्ष का होता है। इस वर्ष आकाशीय मंडल के निर्वाचन में राजा यानी प्रधान मंत्री का पद मंगल को प्राप्त होने वाला हैं। यानी इस संवत्सर के राजा मंगल होंगे। वहीं मंत्री पद शनिदेव को मिलेगा। जबकि पिछले वर्ष बुध राजा और शुक्र मंत्री शुक्र थे। वैदिक ज्योतिष के अनुसार, राजा मंगल होने की वजह से हिंदू नव वर्ष अति महत्वाकांक्षी होने वाला है क्योंकि मंगल साहस, पराक्रम, सेना, प्रशासन, सिद्धांत आदि के कारक ग्रह हैं। साथ ही देश दुनिया में ऐसी कई घटनाएं हो सकती है, जिससे लोग अचंभित और हैरान हो सकते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, राजा मंगल का प्रभाव पूरे संवत में देखने को मिलेगा और इसका प्रभाव सभी 12 राशियों पर भी पड़ेगा।
तीन राजयोग में नवसंवत्सर की शुरुआत
ज्योतिषाचार्य सुरेश शास्त्री के अनुसार नवसंवत्सर की शुरुआत तीन राजयोगों में हो रही है। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग व सिद्धि योग का संयोग बन रहा है। नववर्ष की शुरुआत रेवती नक्षत्र में होने से प्रकृति संतुलन बना रहेगा। रेवती नक्षत्र पंचक का पांचवां नक्षत्र है, जिसका अधिपति पूषा है। ऋग्वेद की मान्यता के अनुसार यह प्रकृति के संतुलन का देवता है।

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