राजस्थान में मानसून करीब 22 राज्यों से गुजरने के बाद पहुंचेगा। मौसम विभाग के साथ ही प्रकृति में पाए जाने वाले जीव जंतु भी भविष्य की सूचनाएं देने में पीछे नहीं है। लोक मान्यताओं के अनुसार टिटहरी द्वारा अंडे देना बारिश के लिहाज से संकेत माना जाता है। किसान भी इन संकेतों के आधार पर अपनी खेती की तैयारी करते हैं।
टिटहरी पक्षी कितने अंडे देती है, उसी अनुपात में बारिश होती है। राजस्थान के अलग स्थानों पर टिटहरी के अंडे से अनुमान लगाया जा रहा है। ऊंचाई वाले स्थानों पर टिटहरी पक्षी अंडे देने, अंडों के स्थान, उनकी संख्या, निचले स्तर पर या मिट्टी खोदकर अंडे देने के विश्लेषण के आधार पर निष्कर्ष निकाला जाता है। टिटहरी पक्षी ऊंचे स्थान पर अंडे देती है तो बारिश तेज होती है। यदि टिटहरी निचले स्थान पर अंडे देती है तो उस साल कम बारिश होती है। यदि अंडों की संख्या चार हो तो 4 माह बारिश का अनुमान लगाया जाता है और अंडों का मुंह नीचे की ओर होने पर अच्छी बारिश होने का अनुमान लगाया जाता है।
टिटहरी पक्षी द्वारा अप्रैल से जून माह के बीच अंडे दिए जाते है। अप्रैल माह के आखिरी सप्ताह में टिटहरी पक्षी अंडे देना शुरू करता है जो जून माह के मध्य तक अंडे देने का समय मना गया है । इस बार ग्रामीण क्षेत्र में अलग-अलग जगह पर देखे गए टिटहरी पक्षी के अंडों की संख्या में चार का होना बारिश के लिए शुभ संकेत माना जा रहा है ।
अंडों का मुंह नीचे की ओर है जिससे चार माह अच्छी बारिश का अंदाज लगाया जा रहा है। जैतपुर खींची में टिटहरी ने अनेक स्थानों पर अंडे खेत, खेल मैदान पर पहाड़ी क्षेत्र में देखे गए हैं। ग्राम सांगावाला में टिटहरी के अंडे मिट्टी के ढेर पर देखे गए हैं। तालामोड़ के समीप टिटहरी के अंडे भूमि के अन्दर गड्ढा बनाकर दिए गए हैं। सभी जगह टिटहरी द्वारा चार की संख्या में अंडे दिए गए। ऐसे में अनुमान है कि चार माह तक अच्छी बारिश होगी।
टिटहरी पक्षी अपने अंडे खुली जगह में देता है। मई व जून माह की तेज गर्मी से बचाव के लिए हर कोई छांव का सहारा लेता है। ऐसे में भी टिटहरी सूर्य की तेज आग उगलती गर्मी को सहन करते हुए अपने अंडों को तेज धूप से बचाने के लिए हमेशा धूप में उनको अपनी मातृत्व छाया उपलब्ध करवाता है। तेज गर्मी को खुद सहन करके अपने अंडों को सुरक्षित रखता है।
टिटहरी पक्षी कभी भी पौधे, बड़े वृक्ष, झाड़ी के ऊपर नहीं बैठता। इन पर अपना ठिकाना भी नहीं बनाता है। ग्रामीणों की मान्यता की जब यह पक्षी पौधे पर बैठने लग जाएगा तो अनहोनी का घटनाक्रम विनाश का संकेत रहेगा। वहीं पक्षी प्रेमियों के जानकारों के अनुसार टिटहरी पक्षी के पैर का पंजा तीन की संख्या में अंगुली से बना पंजा होता है।
यह पंजा सभी टिटहरी पक्षी में तीन की संख्या में पाया जाता है। तीन की संख्या में होने से टिटहरी पक्षी पेड़ कि टहनी टहनी पर अपनी पकड़ नहीं कर पाता इस कारण यह पौधो पर नहीं बैठता। यह पक्षी इसीलिए भूमि परी विचरण करने के साथ अपने अंडे भी भूमि पर देने की मुख्य कारण माना गया है।