ओेम बिरलाः (कोटा)
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला लगातार तीसरी बार कोटा से लोकसभा चुनाव मैदान में हैं। सबसे पहले वे 2014 में सांसद बने थे। 2019 में पार्टी ने फिर से भरोसा जताया। वे इस चुनाव में 2 लाख 79 हजार 677 वोटों से चुनाव जीते और लोकसभा अध्यक्ष बनाए गए। पार्टी ने इन पर फिर भरोसा जताते हुए टिकट दिया है।
केन्द्र में जल शक्ति मंत्री हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के हर घर नल से जल पहुंचाने का जिम्मा इनको दिया। 2014 में पहली बार जोधपुर से सांसद बने और कुछ समय बाद केन्द्रीय राज्यमंत्री भी बनाए गए। 2019 में फिर से चुनाव लड़वाया गया और शेखावत 2 लाख74 हजार 440 वोटों से चुनाव जीते। अब फिर मैदान में हैं।
केन्द्र में कृषि राज्यमंत्री हैं। 2019 में बाड़मेर लोकसभा सीट से पहली बार सांसद का चुनाव लड़ा और 3 लाख 23 हजार 808 मतों से जीते। पहली बार में ही केन्द्र में मंत्री बने। इनके लिए पीएम सभा कर चुके हैं। फिल्म अभिनेत्री कंगना रानौत भी समर्थन में रोड-शो करने आ रही हैं। अभी त्रिकोणीय मुकाबले में फंसे हुए हैं।
दो बार से चित्तौड़गढ से सांसद हैं। तीसरी बार चुनाव लड़ रहे हैं। 2019 में जोशी 5 लाख 76 हजार 247 वोटों से चुनाव जीते थे। पिछले साल पार्टी ने इनको प्रदेश भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया। इनके नेतृत्व में पार्टी ने विधानसभा चुनावों में जीत दर्ज की और भाजपा की सरकार बनी।
पिछली कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे हैं। हाल ही में विधायक पद से इस्तीफा दिया और भाजपा में शामिल हुए। भाजपा ने सांसद का टिकट दिया है। कांग्रेस से एक बार सांसद रह चुके हैं। त्रिकोणीय मुकाबले में फंसे हैं। यहां से कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी चुनाव में उतारा, बाद में बीएपी के राजकुमार रोत को समर्थन दे दिया। हालांकि, कांग्रेस उम्मीदवार ने अपना नामांकन वापस नहीं लिया है।
सी. पी. जोशीः (भीलवाड़ा)
भीलवाडा से कांग्रेस ने चुनाव में उतारा है। पिछली सरकार के समय विधानसभा अध्यक्ष रह चुके हैं। हाल ही विधानसभा चुनाव में राजसमंद से विधायक का चुनाव हार गए हैं। वे भीलवाड़ा लोकसभा से 2009 में सांसद चुने गए और केन्द्र में मंत्री भी बने थे। अब सीधे मुकाबले में फंसे हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पुत्र हैं। पिछला लोकसभा चुनाव जोधपुर से लड़ा, लेकिन जीत नहीं सके। अब सीट बदलकर जालोर-सिरोही लोकसभा सीट से मैदान में हैं। वे प्रदेश में पिछली सरकार के समय राजस्थान क्रिकेट संघ के अध्यक्ष रह चुके हैं। सरकार बदलने के बाद आरसीए को भंग कर दिया गया।
पूर्व मंत्री आंजना चित्तौड़गढ लोकसभा सीट से किस्मत आजमा रहे हैं। हाल ही वे 2023 में निम्बाहेड़ा सीट से विधायक का चुनाव लड़े थे, लेकिन हार गए। पिछली कांग्रेस सरकार में सहकारिता मंत्री रह चुके हैं। आंजना चित्तौड़गढ सीट से एक बार सांसद भी रह चुके हैं। अब वे भाजपा के जोशी से सीधे मुकाबले में हैं।
पूर्व डीजीपी मीना देवली-उनियारा सीट से कांग्रेस विधायक हैं। वे लगातार दूसरी बार विधायक बने हैं। अब उन्हें कांग्रेस ने टोंक-सवाईमाधोपुर लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया है। इससे पहले मीना भाजपा में रहते हुए 2014 में दौसा से सांसद रह चुके हैं। 2018 में उन्होंने भाजपा छोड़कर कांग्रेस का दामन थाम लिया था।
बाड़मेर लोकसभा सीट से कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार बनाया है। विधानसभा चुनावों में उम्मेदाराम ने आरएलपी से बायतू विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था, लेकिन वे बहुत कम अंतर से हार गए थे। लोकसभा चुनाव से पहले उम्मेदाराम ने कांग्रेस ज्वॉइन कर ली। इसके बाद उन्हें कांग्रेस ने लोकसभा प्रत्याशी घोषित कर दिया। वे पहली बार सांसद का चुनाव लड़ रहे हैं।
रविन्द्र सिंह भाटीः (बाड़मेर)
वर्तमान में शिव से विधायक हैं। विस चुनावों से पहले भाजपा में शामिल हुए थे। पार्टी से टिकट मांगा, नहीं दिया तो वे निर्दलीय ही चुनाव में उतर और जीत गए। लोकसभा चुनाव में बाड़मेर सीट से नामांकन दाखिल कर दिया। भाजपा ने इन्हें मनाने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने नामांकन वापस नहीं लिया। भाटी की वजह से अब यह सीट त्रिकोणीय संघर्ष में फंस गई है।
बांसवाड़ा-डूंगरपुर लोकसभा सीट से बीएपी के प्रत्याशी हैं। रोत वर्तमान में चौरासी विस सीट से विधायक हैं। वे लगातार दूसरी बार विधायक चुने गए हैं। कांग्रेस ने बीएपी से गठबंधन कर उन्हें समर्थन तो दे दिया, लेकिन कांग्रेस प्रत्याशी अरविन्द डामोर ने नामांकन दाखिल करने के बाद नाम वापस नहीं लिया। इससे यह सीट भी त्रिकोणीय मुकाबले में फंसी हुई है।