मंदिर ट्रस्ट के विष्णुकांत शर्मा ने बताया कि पूर्व महाराजा रामसिंह ने माता के मंदिर के लिए आगरा रोड पर जमीन दी थी। पहले यहां बगीची हुआ करती थी। इसके बाद यहां माता की प्राण प्रतिष्ठा करवाई गई। यहां कई तांत्रिक बैठा करते थे। लक्ष्मी माता को यहां गज स्वरूप में विराजमान कराया गया। लक्ष्मीजी की मूर्ति के साथ उनके दोनों ओर गज विराजमान है। आज भी यहां लक्ष्मीजी की गजस्वरूप में पूजा-अर्चना होती है। मंदिर स्थापना के बाद यहां कई तांत्रिक बैठते थे, मंदिर में एक गुफा बनी हुई है, जो सिद्ध गुफा के नाम से जानी जाती है। मंदिर में सिद्धेश्वर महादेव भी विराजमान है, जो नर्मदा नदी से लाए गए हैं।
पुजारी प्रेम दवे ने बताया कि आश्विन कृष्ण अष्टमी पर यहां लक्ष्मीजी का प्राकट्य उत्सव मनाया जाता है। मंदिर में श्राद्ध पक्ष की अष्टमी को विशेष आयोजन होते हैं। इस साल 10 फरवरी को बसंत पंचमी पर माता को अचल रूप में विराजमान करवाया गया।
वैभव लक्ष्मी के रूप में होती पूजा
हर शुक्रवार को वैभव लक्ष्मी के रूप में माता की पूजा-अर्चना हेाती है। शुक्रवार को काफी लोग माता के दर्शनों के लिए आते हैं। कई भक्त रोजाना सुबह अपनी दुकानों व प्रतिष्ठानों पर जाने से पहले माता के दर्शन करते हैं। दर्शनार्थी उमेश आंकड ने बताया कि माता की मूर्ति चमत्कारिक है। माता जागृत रूप में विराजमान है।
तीन बार अलग-अलग पोशाक में होगा शृंगार
दीपावली के दिन मंदिर में दीपोत्सव का आयोजन होता हैं। इस दिन माता का दिन में तीन बार शृंगार होगा। तडक़े 5.30 बजे माता का अभिषेक होगा। इसके बाद काली पोशाक धारण करवाकर विशेष शृंगार किया जाएगा। इसके बाद दोपहर में एक बजे फिर से लक्ष्मीजी का अभिषेक किया जाएगा। मां लक्ष्मी को लाल रंग की पोशाक धारण करवाई जाएगी, मंदिर में फूल बंगला झांकी सजाई जाएगी। वहीं शाम को 4 बजे विशेष शृंगार कर माता को गुलाबी रंग की पोशाक धारण करवाई जाएगी। शाम सवा सात बजे लक्ष्मीजी की विशेष आरती होगी। इस दौरान लक्ष्मीजी के खीर और खाजा (मैदा की पपड़ी) का भोग लगाया जाएगा।