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जयपुर

ई-रिक्शा…बननी थी अपने जयपुर की लाइफलाइन, बन गई हमारे जी का जंजाल

Jaipur E-Rickshaw : प्रदूषण कम करने और सुगम परिवहन सेवा शुरू करने के उद्देश्य से राजधानी में ई-रिक्शा की शुरुआत की गई थी। लेकिन शहर की लाइफ लाइन बनने की बजाय ई-रिक्शा हमारे जी का जंजाल बन चुकी है।

जयपुरFeb 12, 2024 / 10:43 am

Supriya Rani

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Jaipur Traffic : प्रदूषण कम करने और सुगम परिवहन सेवा शुरू करने के उद्देश्य से राजधानी में ई-रिक्शा की शुरुआत की गई थी। लेकिन शहर की लाइफ लाइन बनने की बजाय ई-रिक्शा जाम का कारण बन गए हैं। परिवहन विभाग और पुलिस ने ई-रिक्शा के संचालन की मॉनिटरिंग नहीं की। जब भी ई-रिक्शा को लेकर बैठकों का दौर चला तो पॉलिसी जरूर बनी लेकिन कागजों मेें ही दबकर रह गई।

नतीजा यह रहा कि शहर में ई-रिक्शा की संख्या बढ़ती गई। वर्तमान में जयपुर में करीब 29 हजार ई-रिक्शा संचालित हो रहे हैं। बिना नियम-कायदे इनका संचालन हो रहा है। परकोटा क्षेत्र में हाल और भी खराब है। परकोटे में करीब 15 हजार ई-रिक्शा चल रहे हैं। परकोटे के बाहर भी करीब इतने ही ई-रिक्शा संचालित हो रहे हैं। मुख्य सड़कों पर ई-रिक्शा जाम का कारण बन रहे हैं।

 

 


ट्रैफिक कंट्रोल बोर्ड की बैठक में ई-रिक्शा को संचालित करने के लिए कई निर्णय लिए गए। इसके बाद परिवहन अधिकारी प्रथम की ओर से इसकी पॉलिसी बनाकर परिवहन विभाग को भेजी गई। शहर में 29 हजार ई-रिक्शा के सुगम संचालन के लिए जोनवार बांटने की पॉलिसी बनाई गई। करीब 10 जोन में ई-रिक्शा संचालन का निर्णय लिया गया। परिवहन विभाग को यह पॉलिसी आचार संहिता से पहले ही भेज दी। लेकिन यह पॉलिसी आज तक फाइलों में दबी हुई है।

 

 


परकोटा में ई-रिक्शा को ग्रीन-लाइन पर चलाने की कवायद की गई। किशनपोल-चांदपोल बाजार में यातायात पुलिस की ओर से ग्रीन लाइन भी बनाई गई थी। यातायात पुलिस ने चांदपोल बाजार में इसका प्रयोग भी शुरू किया। लेकिन यह योजना ज्यादा समय तक नहीं चल पाई।

 

 


परिवहन विभाग की ओर से सभी वाहनों की स्क्रैप पॉलिसी बनाई गई है। लेकिन ई-रिक्शा की कोई स्क्रैप पॉलिसी नहीं आई। इसका नतीजा यह है कि शहर में करीब आठ हजार ई-रिक्शा कबाड़ हो गए हैं, जिनका संचालन किया जा रहा है। नियमानुसार चार साल में ई-रिक्शा कबाड़़ घोषित कर दिया जाता है। अगर पॉलिसी बन जाए तो शहर से करीब आठ हजार ई-रिक्शा कम हो जाएंगे।

 

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जाेन ई-रिक्शा कलर


झाेटवाड़ा 2500 लाल
सांगानेर 3500 नारंगी
मानसराेवर 3000 पीला
जगतपुरा 2500 भूरा
मालवीय नगर 3500 हरा
हवामहल 3000 ग्रे
सिविल लाइंस 3500 मेहरुन
किशनपाेल 4000 गुलाबी
आदर्शनगर 3000 राॅयल ब्लू

E-Rickshaw Huge Problem for Jaipur Traffic : राजस्थान हाईकोर्ट के अधिवक्ता संजीव सिंघल ने कहा कि जेएलएन मार्ग स्थित ओटीएस चौराहे को पार करने में 10 मिनट से अधिक समय लगता है। अपेक्स सर्कल पर दोनों तरफ लगभग दो किलोमीटर का जाम रोज लगता है। अम्बेडकर सर्कल के भी यही हाल है। खासाकोठी से कलक्ट्रेट जाने वाली सड़क पर भी हमेशा जाम रहता है। जाम की समस्या का समाधान करने के लिए सरकार को ये उपाय अपनाने चाहिए।
जाम से निजात के लिए ये उपाय जरूरी

– शहर में मौजूद व्यस्ततम सर्कल को हटाकर ट्रैफिक लाइटिंग सिस्टम स्थापित किए जाएं

– फ्लाईओवर या अन्डरपास बनाए जाएं

— सड़कों को चौड़ा करने का प्रयास करना चाहिए, अवैध पार्किंग रोकी जानी चाहिए
— सड़कों के दोनों ओर अतिक्रमण हटाए जाने चाहिए

— ट्रैफिक जाम का कारण ई-रिक्शा है, इनकी गति धीमी होती है, जिससे वाहनों को रेंग-रेंग कर चलना पड़ता है।

–ई-रिक्शा के लिए अलग लेन बनानी चाहिए, जोन तय किए जाएं
ई- रिक्शा के लिए पॉलिसी बने

ई-रिक्शा वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष नरेंद्र पाल सिंह ने कहा,”सरकार ने ई-रिक्शा का संचालन तो शुरू कर दिया, लेकिन पॉलिसी नहीं बनाई। स्क्रैप पॉलिसी अगर आ जाए तो पुराने ई-रिक्शा बाहर हो जाएंगे। चालकों के लाइसेंस बनाने के लिए कैम्प लगाने चाहिए। ई-रिक्शा की नियमों के तहत फिटनेस भी होनी चाहिए। जयपुर को प्रदूषण से मुक्त बनाने के लिए ई-रिक्शा जरूरी है, लेकिन पॉलिसी के अनुसार चलाया जाए तो शहर की लाइफ लाइन बन सकते हैं।”

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