ट्रैफिक कंट्रोल बोर्ड की बैठक में ई-रिक्शा को संचालित करने के लिए कई निर्णय लिए गए। इसके बाद परिवहन अधिकारी प्रथम की ओर से इसकी पॉलिसी बनाकर परिवहन विभाग को भेजी गई। शहर में 29 हजार ई-रिक्शा के सुगम संचालन के लिए जोनवार बांटने की पॉलिसी बनाई गई। करीब 10 जोन में ई-रिक्शा संचालन का निर्णय लिया गया। परिवहन विभाग को यह पॉलिसी आचार संहिता से पहले ही भेज दी। लेकिन यह पॉलिसी आज तक फाइलों में दबी हुई है।
परकोटा में ई-रिक्शा को ग्रीन-लाइन पर चलाने की कवायद की गई। किशनपोल-चांदपोल बाजार में यातायात पुलिस की ओर से ग्रीन लाइन भी बनाई गई थी। यातायात पुलिस ने चांदपोल बाजार में इसका प्रयोग भी शुरू किया। लेकिन यह योजना ज्यादा समय तक नहीं चल पाई।
परिवहन विभाग की ओर से सभी वाहनों की स्क्रैप पॉलिसी बनाई गई है। लेकिन ई-रिक्शा की कोई स्क्रैप पॉलिसी नहीं आई। इसका नतीजा यह है कि शहर में करीब आठ हजार ई-रिक्शा कबाड़ हो गए हैं, जिनका संचालन किया जा रहा है। नियमानुसार चार साल में ई-रिक्शा कबाड़़ घोषित कर दिया जाता है। अगर पॉलिसी बन जाए तो शहर से करीब आठ हजार ई-रिक्शा कम हो जाएंगे।
जाेन ई-रिक्शा कलर
झाेटवाड़ा 2500 लाल
सांगानेर 3500 नारंगी
मानसराेवर 3000 पीला
जगतपुरा 2500 भूरा
मालवीय नगर 3500 हरा
हवामहल 3000 ग्रे
सिविल लाइंस 3500 मेहरुन
किशनपाेल 4000 गुलाबी
आदर्शनगर 3000 राॅयल ब्लू
E-Rickshaw Huge Problem for Jaipur Traffic : राजस्थान हाईकोर्ट के अधिवक्ता संजीव सिंघल ने कहा कि जेएलएन मार्ग स्थित ओटीएस चौराहे को पार करने में 10 मिनट से अधिक समय लगता है। अपेक्स सर्कल पर दोनों तरफ लगभग दो किलोमीटर का जाम रोज लगता है। अम्बेडकर सर्कल के भी यही हाल है। खासाकोठी से कलक्ट्रेट जाने वाली सड़क पर भी हमेशा जाम रहता है। जाम की समस्या का समाधान करने के लिए सरकार को ये उपाय अपनाने चाहिए।