मंत्री ने बैठक में कहा कि सरकार का उद्देश्य पशुधन संरक्षण को प्राथमिकता देना है। उन्होंने निर्देश दिए कि गायों के गोबर और गौमूत्र के प्रसंस्करण से संबंधित उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए योजनाएं तैयार की जाएं, जिससे किसानों और पशुपालकों को अतिरिक्त आय के साधन मिलें।
गौ अभ्यारण्य: एक नई दिशा
कुमावत ने मध्य प्रदेश और उड़ीसा की तर्ज पर राजस्थान में भी गौ अभ्यारण्य स्थापित करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि यह कदम बेसहारा गायों के लिए सुरक्षित आश्रय सुनिश्चित करेगा और साथ ही गोशालाओं को सशक्त करेगा। मंत्री ने कहा कि गायों के लिए विशेष परियोजनाएं, जैसे कृत्रिम गर्भाधान (एआई) और सेक्स सोर्टेड सीमन तकनीक, के उपयोग को बढ़ावा दिया जाएगा ताकि पशुधन की गुणवत्ता में सुधार हो सके।
मोबाइल वेटरिनरी यूनिट को बढ़ावा
मंत्री ने मोबाइल वेटरिनरी यूनिट के प्रचार-प्रसार पर विशेष जोर देते हुए इसे हाइब्रिड मोड में चलाने के निर्देश दिए। इस सेवा से अधिकतम पशुपालकों को लाभ पहुंचाने के लिए आगंतुक पंजिका के माध्यम से सुझाव और शिकायतें दर्ज करने की व्यवस्था भी की जाएगी। अन्य प्रमुख घोषणाएं
- गोशालाओं की सहायता: गोशालाओं को समय पर अनुदान सुनिश्चित करने के लिए जिला गोपालन समितियों की बैठक नियमित रूप से आयोजित करने के निर्देश दिए गए।
- रिक्त पदों की भर्ती: विभागीय पदोन्नति और रिक्त पदों की भर्ती प्रक्रिया में तेजी लाने पर जोर दिया गया।
- पशु मेलों का प्रचार: पशु मेलों के प्रचार को प्रभावी बनाने की योजना बनाई गई ताकि लोग इन आयोजनों का अधिक लाभ उठा सकें।
आर्थिक सशक्तिकरण पर फोकस
गायों के गोबर और गौमूत्र से उत्पाद बनाने और इनसे संबंधित उद्योगों को प्रोत्साहन देने पर भी बैठक में चर्चा हुई। मंत्री ने कहा कि इन कदमों से पशुपालकों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाया जा सकता है।
बैठक में शासन सचिव डॉ. समित शर्मा ने बताया कि राजस्थान में पशुपालन और डेयरी क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं, और प्रदेश इसे ‘राइजिंग राजस्थान’ के तहत एक नई ऊंचाई तक ले जाने का प्रयास करेगा।
गौ अभ्यारण्य की स्थापना न केवल गायों के संरक्षण के लिए एक ऐतिहासिक कदम होगा, बल्कि यह पशुपालन और कृषि क्षेत्र में स्थिरता और समृद्धि लाने में भी सहायक सिद्ध होगा।