कोठारी शनिवार को एसएस जैन सुबोध पीजी कॉलेज के संस्थापक बालचंद वैद्य के 115 वें जन्म जयंती समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे। कोठारी ने कॉलेज परिसर में वैद्य की मूर्ति अनावरण किया। समारोह में उन्होंने कहा, वर्तमान समय के लिए बालचंद के व्यक्तित्व को जानने-समझने की जरूरत है।
उन्होंने गुणवत्ता से कभी समझौता नहीं किया। वह मानव रूप में ऐसी जड़ थे, जिन्होंने सुबोध शिक्षा समिति के रूप में पेड़ खड़ा किया। पूरा जीवन शिक्षा को समर्पित कर दिया। हमें भी ऐसा पेड़ बनना है तो जमीन से जुड़ाव जरूरी है। वर्तमान समय में किसी शिक्षक की प्रतिमा लग रही है तो यह अपने आप में बड़ी बात है क्योंकि अब तो राजनेताओं की प्रतिमाएं लगाई जाती हैं।
व्यक्तित्व निर्माण के लिए दर्द होना जरूरी
कोठारी ने कहा कि समाज और व्यक्तित्व के निर्माण के लिए दर्द होना जरूरी है। बालचंद का व्यक्तित्व ऐसा ही था। उन्होंने समाज और व्यक्तित्व निर्माण का कार्य किया। उन्होंने जो समाज को दिया, वह ऋषियों के काल में होता था। हमें समाज के लिए उपयोगी बनना है और उसके लिए जरूरी है कि हम खुद से सवाल करें, अन्यथा जीवन में आगे नहीं बढ़ सकते।
साझा किए संस्मरण
कार्यक्रम में एसएस जैन सुबोध शिक्षा समिति के मानद मंत्री एसएस बोथरा, सहमंत्री विनोद कुमार लोढ़ा ने भी विचार व्यक्त किए। उन्होंने वैद्य के जीवन से जुड़े संस्मरण सुनाए। कॉलेज के प्राचार्य प्रो. केबी शर्मा ने स्वागत उद्बोधन दिया। डॉ. धीरेंद्र भंडारी ने भी वैद्य के जीवन से जुड़े संस्मरण साझा किए। इस अवसर पर वैद्य के जीवन से जुड़ी डॉक्यूमेंट्री भी दिखाई गई।