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Mokshada Ekadashi 2024: कब है मोक्षदा एकादशी, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Mokshada Ekadashi 2024: मोक्षदा एकादशी का व्रत न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से बल्कि आध्यात्मिक उन्नति के लिए भी अत्यंत फलदायी माना गया है। इस दिन का व्रत करने से व्यक्ति को जीवन के हर क्षेत्र में सफलता और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

जयपुरNov 16, 2024 / 08:23 pm

Sachin Kumar

Mokshada Ekadashi 2024

जानिए मोक्षदा एकादशी का महत्व और पूजा विधि।

Mokshada Ekadashi 2024: मोक्षदा एकादशी का पर्व हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह एकादशी वर्ष में आने वाली 24 एकादशियों में से एक है और इसे विशेष रूप से मोक्ष प्राप्ति के लिए श्रेष्ठ माना गया है। इस बार मोक्षदा एकादशी का व्रत 11 दिसंबर 2024 दिन बुधवार को मनाया जाएगा। आइए जानते हैं शुभ मुहूर्त और इसका महत्व।

मोक्षदा का महत्व (Mokshada Ka Mahatv)

मोक्षदा एकादशी का व्रत भगवान श्रीकृष्ण की आराधना के लिए किया जाता है। इस दिन व्रत करने से पूर्वजों की आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस एकादशी का महत्व इसलिए भी अधिक है। क्योंकि इसी दिन श्रीमद्भगवद्गीता का उपदेश भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को दिया था। जिसे गीता जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन व्रत करने से व्यक्ति के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे जीवन में मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह एकादशी पितरों के उद्धार और उनकी आत्मा की शांति के लिए भी अर्पित मानी जाती है। धार्मिक कथाओं के अनुसार इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करने से जीवन के कष्टों का नाश होता है और व्यक्ति को स्वर्ग की प्राप्ति होती है।

व्रत का शुभ मुहूर्त (Vrat Ka Shubh Muhurt)

इस पवित्र व्रत का शुभ मुहूर्त 11 दिसबंर 2024 की एकादशी तिथि की सुबह 03:42 बजे से लेकर अगले दिन 12 दिसबंर 2024 की सुबह 01:09 बजे तक रहेगा। एकादशी के व्रत के खोलने को पारण कहते हैं। मान्यता है इस व्रत को अगले दिन सूर्योदय के बाद पारण किया जाता है। यदि द्वादशी तिथि सूर्योदय से पहले समाप्त हो गयी हो तो एकादशी व्रत का पारण सूर्योदय के बाद ही होता है।

मोक्षदा एकादशी की पूजा विधि (Mokshda Ekadashi Ki Puja Vidhi)

मोक्षदा एकादशी ब्राह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और साफ वस्त्र धारण करें। घर के पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें।

इसके बाद भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति या चित्र के सामने दीप प्रज्वलित करें।
भगवान को तुलसी दल, पुष्प, धूप, दीप, और नैवेद्य अर्पित करें।

भगवद्गीता का पाठ करें और भगवान श्रीकृष्ण के मंत्रों का जाप करें। इसके साथ ही मंत्र “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” का जाप करें।
इस पवित्र पर्व के दिन निराहार रहें और एकादशी की कथा सुनें या पढ़ें।

रात्रि में भगवान श्रीकृष्ण की आरती करें और भजन-कीर्तन का आयोजन करें।

अगले दिन द्वादशी के दिन ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दान-दक्षिणा देकर व्रत का पारण करें।

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