पत्रिका ने इस सीट के आठों विधानसभा क्षेत्रों में जनता की नब्ज टटोली। पानी की कमी, बदहाल ट्रैफिक, महंगी बिजली के मुद्दे मतदाता के जेहन में बने हुए हैं। चारदीवारी के प्राचीन चीनी की बुर्ज के जहीर अहमद बोले- कई चुनाव गुजर गए, लेकिन लटकते बिजली के तारों से आज भी हादसे की डर में डूबे रहते हैं। नगीना बैंगल्स के बाहर इमाम मेराज आलम और अब्दुल रहीम बोले- ऐसा नेता चाहिए जो भीड़ के बीच में खड़ा रहकर अपनों की परेशानी समझने वाला हो। घी वालों का रास्ता में भवानी सिंह, आयुष पण्ड्या, रोहित शर्मा ने कहा कि राष्ट्रीय मुद्दे और चेहरे पर चुनाव हो रहा है, ऐसे में स्थानीय मुद्दे ज्यादा असरकारक होंगे, ऐसा उन्हें नहीं लगता।
जयपुर शहर से 13 प्रत्याशी किस्मत आजमा रहे हैं। सीधा मुकाबला भाजपा की मंजू शर्मा और कांग्रेस के प्रताप सिंह खाचरियावास के बीच है। मंजू 2008 में विधानसभा चुनाव लड़ी थीं, मामूली अंतर से हार गई थी। वहीं, प्रताप सिंह पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे, पिछला विस चुनाव हार गए। कांग्रेस ने पहले सुनील शर्मा को टिकट दिया, लेकिन अंदरूनी विवाद के चलते प्रत्याशी बदलना पड़ा। टिकट बदले जाने के बाद प्रताप सिंह के बयान से कांग्रेस कमजोर दिखाई पड़ रही है।
इस सीट का इतिहास यह है कि शहरवासियों ने 1952 से अब तक 17 बार सांसद चुने, इनमें महिला को एक बार ही चुना। तीन बार संसद पहुंची जयपुर पूर्व राजपरिवार की गायत्री देवी के बाद कोई महिला इस सीट से लोकसभा के लिए नहीं चुनी गई।