अध्यक्ष राजेन्द्र पटेल ने बताया कि रावण को जलाने के बाद उसके क्रियाकर्म सही तरीके से नहीं होने से समाज में रोजाना कई राक्षसों की उत्पत्ति होती है। इसलिए रावण दहन के बाद यह रस्में निभाई जाती है। मंडल की ओर से द्वादशी तक कार्यक्रमों की पूरी रस्में होगी। इससे पूर्व आज रावण दहन के तीसरे दिन तीये की बैठक हुई। इसमें रावण की तस्वीर के समक्ष माला पहनाई गई। इसके बाद दल वाराणसी के लिए गांधीनगर स्टेशन से रवाना हुआ। यहां वैदिक पंडितों से मंत्रोच्चार के बाद अस्थियों का विसर्जन किया जाएगा। 16 अक्टूबर को प्रताप नगर स्थित एमरल्ड गार्डन में पगड़ी का दस्तूर कार्यक्रम होगा। जिसमें ब्राह्मण भोज सहित अन्य रस्में शामिल है।
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11 साल पहले शुरू हुई रस्ममंडल के अध्यक्ष राजेंद्र पटेल ने बताया कि बीते 11 साल से यह कार्यक्रम हो रहा है। रावण दहन के बाद सात अक्टूबर को तीये की बैठक आयोजित कर अस्थियां विसर्जित किए जाने की रस्म निभाई जाती है। जगह-जगह रावण दहन कर उनकी अस्थियों का विसर्जन नहीं करने से जगह जगह रावण पैदा हो रहे हैं।