कॉलेजों के मूलभूत सुुविधाएं नहीं
रिव्यू करने के दौरान कमेटी ने माना है कि जितनी बड़ी संख्या में कॉलेज खोले गए हैं उतनी सुविधाएं मुहैया नहीं कराई गई है। सबसे ज्यादा दिक्कत भवन की हो रही है। कई कॉलेजों के पास भवन नहीं है, किराए पर चल रहे हैं या स्कूलों में ही संचालित किए जा रहे हैं। इसके अलावा कॉलेजों में फर्नीचर का अभाव है। ऐसे में करीब 100 कॉलेज ऐसे चिन्हित किए हैं, जिनके पास दो से चार किमी की दूरी में सरकारी स्कूल हैं। इन्हीं सरकारी कॉलेजों में राजसेस के कॉलेजों को मर्ज किया जा सकता है। यह भी पढ़ें – Rajasthan News : प्रदेशभर के शिक्षकों की शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने की जमकर तारीफ, जानें क्या कहा बड़ी समस्या, कैसे हो NEP की पालना
राजस्थान में अधिकतर विश्वविद्यालयों में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत पढ़ाई शुरू हो गई है। ऐसे में राजसेस के कई कॉलेजों में शिक्षक नहीं है। इसके चलते सेमेस्टर सिस्टम से पढ़ाई नहीं हो पा रही है। यही कारण है कि बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। कमेटी ने इस बात को ध्यान मेें रखते हुए भी रिव्यू किया है। अगर कॉलेजों का संचालन सरकार करेगी तो मूलभूत सुविधाएं मुहैया हो पाएगी।
प्रदेश में उच्च शिक्षा की हालात बदतर
रूक्टा महामंत्री बनय सिंह ने कहा सरकार सिर्फ कॉलेजों को मर्ज करने तक ही सीमित नहीं रहे। प्रदेश में उच्च शिक्षा का हालात बदतर है। अगर सरकार ने कमेटी ने रिव्यू कराया है तो उच्च शिक्षा को बेहतर करने के लिए जो सिफारिश की है उनकी पालना भी कराए। राजनीति के करने के बजाय गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराई जाए।
कॉलेज के बंद या शुरू करने से नहीं सुधरेगा शिक्षा का स्तर
राजस्थान राज्य उच्च शिक्षा परिषद वाइस चेयरमैन प्रो. डी एस चूड़ावत ने कहा राजसेस के कॉलेजों को पूर्व सरकार ने कुछ विचार कर शुरू किया था। पर सरकार कॉलेजों को मूलभूत सुविधाएं नहीं दे सकी। कॉलेज के बंद या शुरू करने से शिक्षा का स्तर नहीं सुधरेगा। राजसेस के कॉलेजों को इसलिए शुरू किया था कि विद्या संबल योजना के तहत अस्थायी टीचर लगा कर कॉलेज चलाए जा सकें। जिस कांसेप्ट के तहत योजना शुरू हुई वैसे आगे नहीं बढ़ी। एनईपी में प्रावधान है कि सरकार बजट का 6 फीसद शिक्षा पर खर्च करे। पर 3 फीसद भी शिक्षा को नहीं दिया जाता है। इसलिए जो भी सरकार हो शिक्षक और इंफ्रा उपलब्ध कराए तो ही गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सकती है।