इन अस्पतालों में चल रहा था रैकेट
ऑर्गन ट्रांसप्लांट में अवैध कारोबार का बड़ा खुलासा हुआ है। प्रदेश के सबसे बड़े एसएमएस अस्पताल के अलावा EHCC, मणिपाल अस्पताल जयपुर और फोर्टिस अस्पताल के कॉर्डिनेटर को भी एसीबी ने गिरफ्तार किया है। फिलहाल जयपुर और गुरुग्राम पुलिस दस्तावेजों की जांच पड़ताल कर रही है।
दलाल इन देशों से ला रहे थे गरीब डोनर
कंबोडिया, बांग्लादेश और नेपाल से गरीब लोगों को किडनी बेचने के लिए वहां के दलाल चिह्नित कर भारत लाते और हॉस्पिटल और विदेशी दलालों के बीच भारतीय बिचौलिए सौदा करवाते थे। जयपुर कमिश्नरेट पुलिस भारतीय बिचौलियों को भी चिह्नित करने में जुटी है। एसीबी ने कंबोडिया निवासी दलाल संची, बांग्लादेश निवासी दलाल सुलेमान व राजवी और नेपाल निवासी दलाल मोहन नेपाली की पहचान की है, जो गरीब डोनर को हॉस्पिटल तक पहुंचाते थे। हालांकि चारों ही अपने मोबाइल बंद कर फरार हैं। आशंका है कि चारों अपने देश लौट गए।
सोमवार को पुलिस करेगी बड़ी कार्रवाई
वहीं गुरुग्राम जेल में बंद किडनी रिसीवर तीन मरीज व दो डोनर को जयपुर लाने की तैयारी भी कमिश्नरेट पुलिस कर रही है। पांचों को जयपुर लाने के संबंध में सोमवार को कोर्ट में प्रार्थना पत्र लगाएगी। फोर्टिस व ईएचसीसी हॉस्पिटल से दस्तावेज जब्त करने के बाद मणिपाल हॉस्पिटल से भी अंग प्रत्यारोपण से संबंधित ऑपरेशन किए जाने वाले दस्तावेज जब्त करेगी।
अब होगा अस्पतालों का लाइसेंस रद्द
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, अवैध रूप से चल रहे अंग प्रत्यारोपण के मामलों में सख्त कार्रवाई करते हुए अस्पतालों का लाइसेंस रद्द कर दिया जाएगा। मानव अंग प्रत्यारोपण एवं ऊतक कानून (थोटा) 1994 के तहत जिम्मेदार एजेंसियों के जरिए उन सभी अस्पतालों में ऐसे विदेशियों की जांच कराई जाए, जिन्होंने भारत आकर अंगदान किया या प्रत्यारोपण कराया। अंग प्रत्यारोपण के 48 घंटे में दाता और अंग लेने वाले की आइडी केंद्रीय एजेंसी के साथ साझा करनी होगी। अब तक यह प्रक्रिया मृत दाता से प्राप्त अंगों के मामले में चल रही थी। इसे जीवित अंगदाता के मामले में भी अनिवार्य कर दिया गया है। स्वास्थ्य मंत्रालय का आदेश हरियाणा और राजस्थान में अवैध अंग प्रत्यारोपण के रैकेट के खुलासे के बाद आया है।
आदेश में यह भी कहा गया
स्वास्थ्य सेवाओं के महानिदेशक डॉ. अतुल गोयल ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को भेजे पत्र में लिखा है कि अंग प्रत्यारोपण के सभी आंकड़े मासिक आधार पर राष्ट्रीय अंग एवं ऊतक प्रत्यारोपण संगठन के साथ साझा किए जाने चाहिए। इनमें देश के नागरिकों के साथ विदेशी नागरिकों के आंकड़े भी होने चाहिए।