परिवार के लोगों ने अस्पताल से अपने घर पहुचने पर उसका ग्रैंड वेलकम किया गया। रास्ते भर आतिशबाजी, ढोल नगाड़ों पर नाचते झूमते परिजनों (cg news) के साथ यह बेटी अपने घर पहुंची। जिसने भी यह नजारा देखा उसने हर्ष जाहिर किया और कहा कि अब अब बेटियों के प्रति लोगों की सोच बदल रही है।
ऐसे निकली ढ़ोल नगाड़ों के साथ यात्रा मंगलवार को जब प्रसूता को महारानी अस्पताल से छुट्टी मिली तो परिवार वालों ने अपनी कार को फूलों से सजाकर लाया था। ढोल-नगाड़े बजाने वालो भी अस्पताल के सामने ही थे। यहां से बेटी को ढोल-नगाड़ों के साथ अपने घर ले गए। बेटी के पिता का कहना है, कि लक्ष्मी के तौर पर मिली बेटी को पाकर पूरा परिवार बेहद खुश है। इस खुशी को लोगों के साथ बांटने और बेटियों को समाज में आदर-सम्मान दिलाने के लिए उनके परिवार ने इस तरह बेटी को घर ले जाने का निर्णय लिया है।
पिता का कहना ह, कि उन्हें बेटी पाकर बेटे से भी अधिक खुशी हुई है। वे अपनी बेटी का पालन-पोषण बेटे से भी अधिक बढक़र करेंगे। आज लड़कियां किसी भी क्षेत्र में लडक़ों से पीछे नहीं हैं। जब तक हम बेटा-बेटी का भेद करना नहीं छोड़ेंगे, तबतक समाज आगे नहीं बढ़ेगा।
मैसेज देने की भी कोशिश..कि बेटियां बोझ नहीं अभिमान होती हैं शहर के कुम्हारपारा निवासी रायसिंह राठौर ने बताया कि उनकी शादी के बाद यह पहला बच्चा था। एक हफ्ते पहले पत्नी नीतू राठौर को प्रसव दर्द हुआ तो उसे जिला महारानी अस्पताल लेकर आए। यहां सुनीता ने एक सुंदर बेटी को जन्म दिया। उन्होंने बताया कि उनके यहां बेटी होने की खुशी ठीक उसी तरह थी जैसा बेटा होने पर, बल्कि उससे अधिक ही थी।
ऐसे में उन्होंने कहा कि इस पल को उत्सव के रूप में मनाया जाए। साथ ही उन्होंने कहा कि यह एक प्रकार से मैसेज देने की भी कोशिश थी कि (jagdalpur news) बेटियां बोझ नहीं होती बल्कि अभिमान होती है। इसलिए बेटी के जन्म लेने पर ऐसा महसूस हुआ कि अब परिवार पूरा हो गया है।
मां-बेटी ने फीता काटकर किया प्रवेश, ताकि खुशियां ही खुशियां हो बेटी के घर प्रवेश के लिए भी परिवार ने विशेष तैयारी कर रखी थी। पूरे घर को फूलों और रोशनी से सजाया गया था। वहीं घर में प्रवेश विशेष हो इसके लिए गेट पर फीता लगाया था। इस फीते को नवजात और मां दोनों अपने हाथों से काटकर प्रवेश किया।
इस दौरान पूरा परिवार जिसमें बच्ची की नानी सुनीता राठौर, नाना संतोष राठौर साथ थे। वहीं रायसिंह के चाचा हरिज्ञान राठौर, चाची कुषमा राठौर, मामा प्रेम राठौर, मामी रजनी राठौर, भाई मुकुल राठौर, बहना अंजली राठौर समेत आस-पास के लोग मौजूद थे।