जबलपुर। लाइफ साइंस से जुड़े पहलुओं और तथ्यों पर रिसर्च के कई दायरे बढ़ रहे हैं। बायोटेक्नोलॉजी में पर्यावरण स्वच्छता के लिए न सिर्फ विशेषज्ञों द्वारा काम किया जा सकता है, बल्कि रिसर्चर्स और अन्य स्टूडेंट्स भी लाइफ साइंस के क्षेत्र में इनोवेशन करते हुए कई तरह के आयामों को छू सकते हैं। पर्यावरण, स्वच्छता अभियान और लाइफ साइंस से जुड़ी एेसे ही प्रमुख मुद्दों को शामिल किया गया। शुक्रवार को रानी दुर्गावती यूनिवर्सिटी में मप्र बायोटेक्नोलॉजी काउंसिल और पीजी स्टडीज एंड रिसर्च इन बायोलॉजिकल साइंस के तत्वावधान में इंटरकॉलेज स्वच्छ भारत अभियान थीम पर बायोटेक्नोलॉजी कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
पर्यावरण के लिए बायोटैंक जरूरी
कार्यक्रम में मुख्य वक्ता मिनिस्ट्री ऑफ डिफेंस, डीआरडीओ डायरेक्टर ग्वालियर डॉ. लोकेन्द्र सिंह ने ‘रोल ऑफ बायो-डाइगेस्टर इन स्वच्छ भारत अभियान’ विषय पर जानकारी दी। उन्होंने कहा कि डीआरडीओ द्वारा पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए बायो-डाइगेस्टर को प्रमुख रूप से शामिल किया गया है। शहर में यदि इसे इनीशिएटिव लिया जाए, तो बायोटैंक से जुड़ी कई रिसर्च भी यही संभव हो सकती है। अध्यक्षता आरडीयू कुलपति प्रो. कपिल देव मिश्र ने की। विशिष्ट अतिथि आरडीयू कुलसचिव डॉ. एमएस अवास्या, नगर निगम कमिश्नर वेद प्रकाश थे। इस अवसर पर आयोजक समिति से प्रो. अंजना शर्मा, कन्वीनर प्रो. वायके बंसल, को-कन्वीनर प्रो. एसएन बागजी उपस्थित थे।
स्किट, पोस्टर और क्विज में लाइफ साइंस
कार्यक्रम के दौरान विभिन्न कॉलेजों से आए स्टूडेंट्स के लिए स्किट और क्विज कॉम्पीटिशन का आयोजन किया गया। इसके अंतर्गत ‘रोल ऑफ साइंस इन स्वच्छ भारत अभियान’ और ‘रोल ऑफ बायोटेक्नोलॉजी इन स्वच्छ भारत अभियान’ जैसे विषयों पर क्विज, पोस्टर प्रजेंटेशन, पोयम, स्किट, सॉन्ग्स, आेरल पेपर प्रजेंटेशन, एलोकेशन का ‘रोल ऑफ बायोटेक्नोलॉजी इन स्वच्छ भारत अभियान’ के कॉम्पीटिशन हुए।
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