कोविड काल में मरीजों से खचाखच भरे हॉस्पिटल का जिला स्तरीय स्वास्थ्य दल ने निरीक्षण किया, तो वहां सिर्फ 16 मरीज भर्ती मिलें। इसमें 14 कोरोना संक्रमित हैं। दो मरीज अन्य बीमारी से पीडि़त है। स्वास्थ्य दल ने वर्तमान में भर्ती मरीजों के विधिवित उपचार के आदेश दिए है। इन मरीजों को असुविधा होने पर विभाग की ओर से मध्यप्रदेश राजोउपचार एवं स्थापना अधिनियम 1973 एवं नर्सिंग होम अधिनियम के तहत कार्रवाई की चेतावनी दी गई है।
मैनेजर की गिरफ्तारी के बाद कार्रवाई
गुजरात से नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन मंगाने के मामले में दवा कारोबारी सपन जैन और सिटी हॉस्पिटल के मेडिकल स्टोर कर्मी देवेश के बाद अस्पताल संचालक मोखा के पकड़े जाने के बाद से ही अस्पताल में मरीजों के उपचार पर सवाल उठ रहे थे। सोमवार को अस्पताल की प्रबंधक के साथ ही प्रबंधन मंडल में शामिल संचालक मोखा की पत्नी की गिरफ्तारी हुई। इस कांड में आरोपी संचालक मोखा के बेटे हरकरण सिंह के फरार होने के बाद अस्पताल में व्यवस्थाओं के लिए कोई जिम्मेदर व्यक्तिनहीं बचा था। भर्ती मरीजों का उपचार संदिग्ध हो गया था। जिला मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. रत्नेश कुररिया ने नए मरीजों की भर्ती पर रोक की पुष्टि की है।
अस्पताल अधिग्रहण की उठ रही मांग
नकली रेमडेसिविर मामले में आरोपी और एनएसए के तहत संचालक सरबजीत सिंह मोखा को जेल में बंद किए जाने के बाद सिटी हॉस्पिटल संदेह के घेरे में आ गया है। नए मरीज अस्पताल से दूरी बना रहे है। कोरोना महामारी के बीच अस्पतालों और डॉक्टर्स की कमी बनी हुई है। इसे देखते हुए लोग सिटी हॉस्पिटल को स्वास्थ्य विभाग की ओर से अधिग्रहित करके संचालित करने की मांग कर रहे हैं। ताकि, अस्पताल की सुविधाओं का मरीजों के हित में उपयोग हो चुके है। अस्पताल में ऑक्सीजन बेड, आइसीयू यूनिट के साथ ही गम्भीर रोगियों की जांच के लिए कई आधुनिक उपकरण है। यह संसाधन कोरोना संकट काल में सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं का बड़ा सहारा बन सकते है। इससे गरीब मरीजों के बेहतर उपचार में मदद मिलेगी।