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जबलपुर

अब हिंसा ने मनोरंजन का रूप ले लिया है : कपिल तिवारी

ओशो महोत्सव में पहुंचे लोकसंस्कृति मर्मज्ञ ने समाज में बढ़ती क्रूरता पर जताई चिंता

जबलपुरDec 12, 2019 / 01:28 am

shivmangal singh

kapil tiwari

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जबलपुर. आदिवासी लोककला परिषद के पूर्व सचिव और लोकसंस्कृचि के मर्मज्ञ डा. कपिल तिवारी ने समाज में बढ़ती क्रूरता पर चिंता जताई है। पत्रिका के साथ चर्चा में उन्होंने कहा कि आज हिंसा ने मनोरंजन का रूप ले लिया है। आज सीरियल किलर पैदा हो रहे हैं, वे बिना किसी वजह से लोगों की हत्या कर रहे हैं और उसमें उन्हें आनंद आ रहा है। उन्होंने कहा कि ये हमारे समाज में बढ़ते लालच के कारण ऐसा हो रहा है।
ओशो महोत्सव में शामिल होने के लिए बुधवार को जबलपुर पहुंचे डा. कपिल तिवारी ने कहा कि आज हमने संबंधों का समाज खो दिया है। हमारे पास समाज नहीं है। आज अपने-अपने मतलब के लिए लोगों का झुंड है। जब हम एक समाज थे तो हमारे पास दूसरों के सुख-दुख में शामिल होने का समय था। लोगों के बीच संवाद था। आज किसी के पास समय नहीं है। डा. कपिल तिवारी खुद से ही सवाल उठाते हैं कि आज क्या छह दिन का सप्ताह हो गया है, क्या 20 दिन का महीना हो गया है अथवा 23 घंटे का दिन हो गया है क्या? असल में दौड़ते हुए आदमी के पास समय नहीं होता। डा. कपिल तिवारी ने चर्चा में कहा कि आज हर आदमी अपने सुख-दुख में अकेला महसूस कर रहा है। वह डर गया है कि उसे इन सभी से खुद ही सामना करना है, इसलिए पहले से ही तैयारी करने में जुट गया है। जबकि पहले इस डर के लिए कोई स्थान नहीं है। डा. कपिल तिवारी कहते हैं कि बढ़ते हुए लालच की वजह से समाज में क्रूरता बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि लालच का कहीं अंत नहीं हो रहा है। जो लोग धन के हिमालय पर बैठे हैं वे धन का आकाश छूना चाहते हैं।
लोक परंपराओं के मर्मज्ञ डा. कपिल तिवारी ने कहा कि आज समाज परंपराओं से प्रेरित नहीं रह गया है। हम लोग बिना जाने ही परंपराओं के आलोचक हैं। उन्होंने कहा कि परंपराओं को रद्द करने के लिए भी उन्हें पहले जानने की जरूरत होती है। डा. कपिल तिवारी ने कहा कि आज लोगों को आगे बढऩे का भ्रम हो गया है, जबकि हर आदमी एक ही जगह दौड़ रहा है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि आज लालच में ही दिल्ली को गैस चैंबर बना दिया है। डा. कपिल तिवारी ने कहा कि आज ओशो आज और अधिक प्रासंगिक हो गए हैं। आज जीवन में जो दुर्गंध उठने लगी है, उससे छुटकारा पाने में ओशो के विचार ही हमारी मदद कर सकते हैं।

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