लोकसभा चुनाव में खंडवा सीट से कांग्रेस के पराजित प्रत्याशी नरेंद्र पटेल की याचिका में सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल पर नामांकन के समय झूठा शपथ-पत्र देने का आरोप लगाया गया है। उनपर सिटीजन को-ऑपरेटिव बैंक, बुरहानपुर से लिए गए लोन की जानकारी छिपाने का आरोप है। इसे कदाचरण मानते हुए खंडवा सीट से चुनाव निरस्त करने की मांग की गई है।
यह भी पढ़ें : 9 महीने का एरियर काटकर होगी महंगाई भत्ता में बढ़ोत्तरी! एमपी में डीए पर बड़ा अपडेट हाईकोर्ट की जस्टिस विवेक जैन की एकलपीठ ने चुनाव याचिका पर सुनवाई के बाद सिटीजन को-ऑपरेटिव बैंक बुरहानपुर के महाप्रबंधक या मुख्य कार्यपालन अधिकारी को उपस्थित होने के निर्देश दिए। कोर्ट ने अधिकारी के आने-जाने सहित सभी खर्च सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल को उठाने को कहा। इस केस की अगली सुनवाई 8 नवंबर को होगी।
बीजेपी सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल के विरुद्ध दायर याचिका में बताया गया है कि उन्होंने नामांकन के समय झूठा शपथ-पत्र प्रस्तुत किया। इसमें बैंक लोन की लाखों का भुगतान लंबित होने की जानकारी छिपाई थी। याचिकाकर्ता कांग्रेस के नरेंद्र पटेल का कहना है कि सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल का यह काम कदाचरण की श्रेणी में आता है।
इधर सांसद पाटिल ने दलील दी है कि नामांकन के समय बैंक लोन संबंधी डिफॉल्ट नहीं था। इसलिए नामांकन पत्र में जानकारी छिपाने का आरोप गलत है। यह याचिका निरस्त कर दी जानी चाहिए।
जबलपुर हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट के न्याय दृष्टांत के मद्देनजर संबंधित बैंक अधिकारी को दस्तावेजों सहित बुलाया है। कोर्ट ने यह भी कहा कि इस आदेश का पालन किया जाए अन्यथा चुनाव याचिका निरस्त करने का सांसद का अंतरिम आवेदन स्वमेव निरस्त माना जाएगा।
हाइकोर्ट द्वारा कोऑपरेटिव बैंक के चीफ एक्जीक्यूटिव को नोटिस जारी कर तलब करने के बाद कांग्रेस के पराजित प्रत्याशी नरेंद्र पटेल ने खंडवा सांसद का चुनाव शून्य होने की उम्मीद जताई है। नरेंद्र पटेल ने बताया कि सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल ने 8 साल के बाद भी बैंक के 71 लाख रुपए जमा नहीं कराए। इसे निर्वाचन आयोग से भी छिपाया।