ईदगाह में सुपुर्द-ए-खाक
समाज के वरिष्ठ पदाधिकारी सरदार अली कादरी ने बताया कि मौलाना साहब का इंतकाल गुरुवार सुबह करीब 9.20 बजे हो गया। शुक्रवार को दोपहर दारूस्लाम उपरैनगंज से उनका जनाजा ईदगाह कलां रानीताल के लिए रवाना हुआ। इसमें शामिल होने के लिए शहर ही नहीं बल्कि पूरे देश से उनके शुभचिंतक पहुंचे। जुमे की नमाज के बाद हजरत की नमाजे जनाजा अदा की गई, इसमें भी हजारों की संख्या में लोग शामिल हुए। यहीं पर ततफीन अमल में लायी गई। नम आंखों से मौलाना साहब को सुपुर्देखाक किया गया।
सौर्हाद्र में अहम भूमिका
मौलाना महमूद अहमद कादरी के अनुसार ९० वर्षीय मौलाना साहब पिछले कुछ दिनों से अस्वस्थ थे। गुुरुवार को उनका इंतकाल हो गया। मौलाना साहब शहर में सामाजिक समरसता के लिए जाने जाते थे। जब भी शहर में विषम परिस्थतियां बनने की स्थिति निर्मित हुए मौलाना पूरी सजगता से आगे आए। सूझबूझ और बेहतर ढंग से एक विकल्प दिया, जिससे शहर की फिजां में हमेशा शांति और सौहार्द्र का रंग घुला रहा।
हर वर्ग के दिल में बनाई जगह
कादरी ने बताया कि मौलाना साहब की एक बेटी है। उनका निकाह चुका है। वे नाती-पोतों के धनी थे। सहज व्यक्तित्व के धनी मौलाना साहब ने हर वर्ग के लोगों के दिल में जगह बनायी थी।
तरक्की के लिए हमेशा एकता की बात कही
भाजपा के नगर अध्यक्ष जीएस ठाकुर व कांग्रेस के नगर अध्यक्ष दिनेश यादव ने कहा कि मौलाना साहब की कमी शहर को हमेशा खलेगी। वे एक बेहतर सोच के व्यक्ति और सहज व्यक्तित्व के धनी थे। उन्होंने हमेशा यही संदेश दिया कि आपसी सौहाद्र्र और मेलजोल के साथ ही आदमी तरक्की कर सकता है। उन्होंने हमेशा यही बताया कि शहर की तरक्की के लिए सभी का आपस में मिल-जुलकर काम करना जरूरी है। इससे प्रदेश और देश की भी तरक्की होगी।