वरिष्ठ साहित्यकार एवं मानसरोवर साहित्य समिति के संरक्षक विनोद कुशवाहा ने भवानी दादा की प्रसिद्ध कृति सन्नाटा का उल्लेख करते हुए उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किए। इस अवसर पर उन्होंने नगर प्रशासन से सभी वाचनालय फिर से शुरू करने और साहित्य कृतियों को उसमें स्थान देने की बात रखी। उन्होंने कहा कि यह प्रसिद्ध व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई जी का जन्म शताब्दी वर्ष भी है। मानसरोवर साहित्य समिति के अध्यक्ष राजेश दुबे ने कहा कि यह हमारा सौभाग्य है कि नर्मदांचल में युगदृष्टा भवानी प्रसाद मिश्र जैसे साहित्यकार हुए हैं। मानसरोवर साहित्य समिति के स्वर्ण जयंती वर्ष में आयोजित किए जाने वाली आगामी साहित्यिक गतिविधियों की जानकारी दी।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य वक्ता बृजमोहन सोलंकी ने भवानी दादा की प्रसिद्ध कृति सतपुड़ा के घने जंगल को वर्तमान संदर्भ में सतपुड़ा के कटे जंगल के रूप में प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में रामकिशोर नाविक, आलोक शुक्ला, जीवन घावरी, विकास उपाध्याय, राजेश चौहान, राजेश व्यास, मोहम्मद अफाक, अविनेश चंद्रवंशी, सौरभ दुबे, अजय सिंह भदौरिया ने भी भवानी दादा को श्रद्धा सुमन अर्पित किए। कार्यक्रम का संचालन मानसरोवर साहित्य समिति के संरक्षक विनोद कुशवाहा ने एवं आभार प्रदर्शन प्रचार सचिव सौरभ दुबे ने किया।