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20 कंपनियों पर दो बार किया गया केस
कई अमरीकी राज्यों के अटॉर्नी जनरल द्वारा दाखिल किया गया यह दूसरा केस है। इस केस में इन कंपनियों की जांच की मांग की गई है। इनपर आरोप लगा है कि इन्होंने कृत्रिम तरीके से करीब 100 दवाइयों की कीमतों को प्रभावित करने की चाल चली गई है। दूसरे केस में उन अतिरिक्त कंपनियों और उत्पादों के बारे में जिक्र किया गया है जिनके बारे में पहले केस में कोई चर्चा नहीं की गई थी। दूसरे केस में सनफार्मा की अनुषंगी तारो ( Taro ), ल्यूपिन, ग्लेनमार्क और जाइदल कैडिला के नाम जोड़े गए थे।
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ये कंपनियां कैसे करती थीं कीमतों को प्रभावित
गौरतलब है कि यह केस एक ऐसे समय में किया गया है, जब पहले से ही फार्मा कंपनियों को अमरीकी बाजार में परेशानियों का सामना करना पड़ा है। इस केस में 15 अधिकारियों पर भी केस दर्ज किया गया है, जिन्हें सेल्स मार्केटिंग, प्राइसिंग और ऑपरेशंस की जिम्मेदारी थी। आरोप में कहा गया है कि जब एक कंपनी किसी विशेष दवाओं की कीमत बढ़ाती है तो बाकी कंपनियां अपनी कीमतों में इजाफा कर देती हैं। वहीं, कभी-कभी कीमतों में कटौती कर कंपनियां एक दूसरे को प्रतिस्पर्धा देने के बजाए एक दूसरे के साथ मार्केट शेयर करने की कोशिश करती हैं। कुछ दवाइयों की कीमतें तो 1000 फीसदी तक बढ़ाया गया है।
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दो कंपनियों ने केस पर संज्ञान लेते हुए जारी किया बयान
इस केस में अटॉर्नी जनरल विलयम टॉन्ग कुल 44 राज्यों का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। उन्होंने कहा है कि खोजने पर भी इन कंपनियों के बीच प्रतिस्पर्धा नहीं देखने को मिलती है। टॉन्ग ने आगे कहा, “हमारे पास पुख्ता सबूत है कि जिससे पता चलात है कि जानबूझ कर हजार करोड़ रुपए का फ्रॉड किया गया है। हमारे पास ई-मेल, मैसेज, टेलिफोन रिकॉड्र्स और कंपनियों के पूर्व इनसाइडर्स हैं।” इस केस के बाद तेवा और ऑरबिंदो फार्मा ने अपनी तरफ से बयान भी जारी किया है। दोनों कंपनियों ने कहा कि वो अपनी उपर लगे आरोपों का जवाब देंगी।
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