ड्राई आई सिंड्रोम : आंख की रोशनी पर भारी, मोबाइल की खुमारी
सावधान! मोबाइल की खुमारी आंखों पर भारी पड़ सकती है। समय रहते मोबाइल मोह
पर कन्ट्रोल नहीं किया तो आपकी भी आंखें कमजोर हो सकती है।
सावधान! मोबाइल की खुमारी आंखों पर भारी पड़ सकती है। समय रहते मोबाइल मोह पर कन्ट्रोल नहीं किया तो आपकी भी आंखें कमजोर हो सकती है। नेत्र विशेषज्ञों के अनुसार, मोबाइल के अधिक उपयोग के कारण आंखों में ड्राई आई सिंड्रोम बढ़ रहा है।
खास तौर पर बच्चे व युवा वर्ग इस बीमारी से पीडि़त हो रहे हैं। हर दिन दो से पांच केस इस तरह के सामने आते हैं। लोग मोबाइल को फोन अटेंड करने के अलावा ई-मेल चेक करना हो या किसी को मेल भेजना हो, ऑफिस का काम हो या व्यापार का, काफी हद तक मोबाइल पर आश्रित है।
मोबाइल पर गेम्स, चैटिंग भी बच्चों व युवा पीढ़ी को अपनी ओर आकर्षित कर रही है।
मोबाइल को 8 से 10 घंटों तक काम में लेना आंखों को नुकसान पहुंचा रहा है। आंखों में जलन, खुजली, गर्दन व सिर में दर्द, आंखों से पानी बहना, अंगुलियों में दर्द होना जैसी समस्याएं हो रही है। ये सभी लक्षण आंखों में संक्रमण व मोबाइल विजन सिंड्रोम के है।
आखिर क्यों होता यह
मोबाइल के लम्बे समय तक उपयोग से ड्राई आई सिंड्रोम की समस्या बढ़ती है। आंसू कम बनने लगते है। आंसू कार्निया व कंजेंक्टाइवा को नम रख उसे सूखने से बचाते हंै। आंखों की बाहरी सतह को लिपिड या ऑयली लेयर कहते है। लिपिड लेयर को आंसू नियंत्रित करते है। लिपिड लेयर पलकों को चिकनाई देती है। जिससे पलकें झपकाने में आसानी होती है। ज्यादा देर तक मोबाइल उपयोग से आंसू की परत प्रभावित होती है, आंखें सूखने लगती हैं। इसे ड्राई आई सिंड्रोम कहते है।
सजग, सतर्क रहें
आज मोबाइल हर व्यक्ति की जरूरत बन गया है, लेकिन इसके इस्तेमाल पर कु छ हद तक इस पर काबू पा सकता है। मोबाइल के अधिक उपयोग के कारण आखों में ड्राई आई सिंड्रोम नामक रोग बढ़ रहा है और नेत्र ज्योति को कमजोर कर रहा है। खासतौर पर बच्चे व युवा वर्ग इस बीमारी से पीडि़त हो रहे हैं।
डॉ. सुरेश पाण्डेय, नेत्र रोग विशेषज्ञ
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