समिति के प्रमोद द्विवेदी के मुताबिक 6 दिसंबर 1980 को स्थानीय शासन व पर्यावरण मंत्री रहे सुरेश सेठ ने भोपाल स्थित सचिवालय में बैठक बुलाई थी। उमसें विभागीय अफसरों के अलावा होप टेक्सटाइल लिमिटेड के डायरेक्टर विमल पोत्दार भी मौजूद थे, जिनके बीच एक समझौता हुआ था। तय हुआ था कि २२ एकड़ में से ८ एकड़ जमीन आईडीए को दी जाए। बकायदा उसका आधिपत्य भी सौंपा गया।
समझौते के आधार पर संभागीय अध्यक्ष आकाश त्रिपाठी प्राधिकरण के प्रभारी अध्यक्ष भी हैं। वे जनप्रतिनिधियों को साथ लेकर यहां कोर्ट भवन बनाने की पहल कर सकते हैं। जब पीपल्याहाना में जलाशय की जमीन का भूमि उपयोग बदला जा सकता है तो मिल की जमीन का उपयोग क्यों नहीं बदला जा सकता।
मिल मालिक से हुई बात
संघर्ष समिति के सदस्य होप मिल के मालिकों से मिले। द्विवेदी के अनुसार १४ एकड़ जमीन के बदले उन्हें अन्य स्थान पर जमीन दे दी जाए तो वे राजी हैं। ऐसा होने पर कोर्ट के पीछे ही नए भवन का रास्ता साफ हो जाएगा। शुरु में पार्किंग व वकीलों को शिफ्ट कर दिया जाए। धीरे-धीरे जगह कोर्ट कॉम्प्लेक्स में बदल जाएगी। यहां कोर्ट बनाकर ११०० करोड़ की बचत होगी।