वर्ष 1969 में बने सरवटे बस स्टैंड के भवन को मई 2018 में धराशायी कर दिया गया था। पुरानी व जर्जर इमारत होने के कारण जिला प्रशासन और निगम ने मिलकर स्टैंड की इमारत को ध्वस्त किया। यह स्टैंड इंदौर की पहचान रहा है और यहां से देश के कई बड़े शहरों के लिए बसोंं का संचालन होता आ रहा है। इमारत तोडऩे के बाद निगम ने अस्थायी टिन शेड बनाकर टिकट काउंटर, पूछताछ केंद्र, टिकट आरक्षण व अमानती सामानघर बनाया। साथ ही यात्रियों के लिए अस्थायी दुकानें भी बनाईं, ताकि उन्हें जरूरत का सामान मिल सके। स्टैंड के अंदर जिन व्यापारियों की दुकानें थीं, उन्हें ही अस्थायी दुकानें दी गईं हैं।
निगम अफसरों के अनुसार नया बस स्टैंड पांचमंजिला होगा। बेसमेंट में पार्किंग, ग्राउंड पर बसें और ऊपर की चार मंजिलों पर यात्रियों के रहने व खाने की व्यवस्था होगी। निर्माण के दौरान स्थिति को देखते हुए प्लानिंग बदली भी जा सकती है।
दस महीने से बस स्टैंड बिना इमारत संचालित हो रहा है। यहां सुबह से देर रात तक बसों का आना-जाना लगा रहता है। कई बार हालत यह हो जाती है कि परिसर में बसों के सही ढंग से न खड़े होने पर रेलम-पेल मची रहती है और बाहर तक वाहनों की लाइन लग जाती है। यात्रियों को अपनी बस तलनाशने में परेशानी अलग होती है। साथ ही दिनभर यातायात जाम होता रहता है। यहां से निकलने वाली बसेें रेलवे स्टेशन के बाहर आकर खड़ी हो जाती हैं। इस कारण सरवटे से लेकर छोटी ग्वालटोली थाने तक बसों की कतार लग जाती है और ट्रैफिक बाधित होता है। बसों के साथ मैजिक गाड़ी, सिटी बस और ऑटो रिक्शा खड़े होने से मुसीबत बढऩे के साथ वाहन गुत्थमगुत्था होते रहते हैं। मौके पर पुलिस भी रहती है, लेकिन करती कुछ नहीं।
सरवटे बस स्टैंड से रोज करीब 600 बसों का संचालन होता है। इनमें भोपाल, सागर, छतरपुर, सतना, रीवा, टीकमगढ़, होशंगाबाद, इटारसी, छिंदवाड़ा, सिवनी, बालाघाट, जबलपुर, बैतूल, मुलताई व नागपुर के लिए बसें शामिल हैं। इंदौर-खंडवा होते हुए बुरहानपुर, अकोला, शिर्डी, अमरावती, जालना भी जाती हैं। एबी रोड पर धामनोद होते हुए मनावर, अलीराजपुर, खरगोन, सेंधवा, बड़वानी, धार, धुलिया, नासिक तक बसों का संचालन होता है। उज्जैन, देवास, शाजापुर, मक्सी और सारंगपुर के लिए भी बसें चलती हैं। महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात के अलग-अलग शहरों के लिए भी बसें चलती हैं।