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इंदौर

गांधी जी ने सबसे पहले बताया था हिन्दी का महत्व

तीन हिन्दी सेवियों का सम्मान, परिचर्चा और दो पुस्तकों का अनावरण किया गया

इंदौरOct 02, 2017 / 09:35 pm

अर्जुन रिछारिया

Gandhiji hindi language
हिन्दी परिवार के ३० वर्ष पूर्ण होने पर कार्यक्रम, हन्दी परिवार की ओर से हिन्दी सेवी सम्मान से तीन हिन्दी सेवियों को सम्मानित किया गया।
इंदौर. गांधी जी ने ही सबसे पहले हिन्दी का महत्व समझा और स्वाधीनता आंदोलन को सफल बनाने के लिए हिन्दी की मदद ली। गांधी जी के ही कारण वर्धा और हैदराबाद में हिन्दी की बड़ी संस्थाएं हैं। ये बात सोमवार को हिन्दी साहित्य समिति में हिन्दी साहित्यकारों की संस्था हिन्दी परिवार ने अपने ३०वें स्थापना दिवस पर एक कार्यक्रम रखा, जिसमें तीन हिन्दी सेवियों का सम्मान, परिचर्चा और दो पुस्तकों का अनावरण किया गया। परिचर्चा का विषय महात्मा गांधी और हिन्दी था। इस विषय पर वक्ताओं ने कहा कि केवल आंदोलन के दौरान ही नहीं बल्कि आजादी के बाद भी देश को जोडऩे के लिए गांधी जी हिन्दी को जरूरी मानते थे। इसलिए आजादी के तुरंत बाद जब बीबीसी रेडियो की टीम अंग्रेजी में उनका इंटरव्यू लेने आई तो उन्होंने कहा था कि इन्हें बता दो कि गांधी को अंग्रेजी नहीं आती जबकि गांधी जी लंदन में बैरिस्टर की पढ़ाई कर के आए थे।
कार्यक्रम के दूसरे भाग में हिन्दी परिवार की ओर से हिन्दी सेवी सम्मान से तीन हिन्दी सेवियों को सम्मानित किया गया। इनमें डॉ. हेमलता दिखित जिन्होंने कई अंग्रेजी पुस्तकों का हिन्दी अनुवाद किया है प्रमुख हैं। डॉ. दिखित अंग्रेजी की प्रोफेसर रही हैं। उनके साथ ही मुंबई में सहायक निदेशक राजभाषा डॉ. अनंत श्रीमाली और दृश्य प्रचार निदेशालय के अधिकारी मधुकर पंवार को भी सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम के दौरान हिन्दी परिवार की ओर से प्रकाशित सदस्यों की निर्देशिका और कहानी-कविता संग्रह चार अंगुल का लोकार्पण भी किया गया। चार अंगुल में ११ साहित्यकारों की लघुकथाएं हैं और ४८ कवियों की कविताएं हैं। इस अवसर पर एक लघु प्रदर्शनी भी लगाई गई जिसमें हिन्दी परिवार के आयोजनों की तस्वीरें और हिन्दी परिवार की ओर से प्रकाशित पुस्तकों की प्रतियां रखी गईं। कार्यक्रम की अध्यक्षता शरद पगारे ने की। मुख्य अतिथि डॉ. वंदना अग्निहोत्री थीं। अतिथियों का स्वागत पद्मजा वाजपेयी और अरविंद ओझा ने किया। सम्मान पत्र वाचन प्रभु त्रिवेदी, संतोष मोहंती और श्रीति राशिनकर ने किया। संचालन हरेराम वाजपेयी ने किया।
फोटो- रवीन्द्र सेठिया

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