नए प्रावधान के तहत, ऐसे केस में 120 दिन में अनुमति नहीं मिली तो स्वत: अनुमति मानकर जांच एजेंसी को चालान पेश कर सकेगी। विदेश भागे आरोपी के केस में कोर्ट में सुनवाई जारी रहेगी, उसकी संपत्ति कुर्की की जा सकेगी। पीड़ित को भी सूचना का अधिकार दिया गया है। उसके दर्ज कराए केस में जांच की स्थिति, चार्जशीट की जानकारी पुलिस को पीड़ित को देनी होगी।
किया जाएगा जागरुक
आमतौर पर लोकायुक्त व ईओडब्ल्यू से जुड़े केस में चालान की अनुमति मिलने से केस सालों तक लंबित रहते हैं। वरिष्ठ सरकारी अफसर व जनप्रतिनिधि के मामले सालों तक अनुमति नहीं मिलने से अटके रहते हैं। नए कानून व प्रावधान के बारे में वेबिनार में आइजी इंटीलेंज डॉ. आशीष ने पुलिस अफसर, वकील आदि को जानकारी दी। वेबिनार में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने बताया, सरकार 1 जुलाई से गुलामी की निशानियों को समाप्त करने का काम कर रही है। कानून के प्रावधानों को लेकर लोगों को भी जागरूक किया जाएगा।
किसी भी केस के पीड़ित का रखा जाएगा ध्यान
आइजी इंटेलीजेंस डॉ. आशीष के मुताबिक, नए प्रावधान के तहत लोकायुक्त व ईओडब्ल्यू से जुड़े केस में 120 दिन में अनुमति नहीं मिली तो स्वत: अनुमति मान ली जाएगी और चालान पेश किया जा सकेगा। नए प्रावधानों के तहत अब किसी भी केस के पीड़ित का भी ध्यान रखा जाएगा। पीडित द्वारा दर्ज कराए गए केस में जांच की प्रगति, चार्जशीट प्रस्तुत होने तथा जांच के निष्कर्ष की जानकारी पीड़ित को देना होगी। किसी केस में खात्मा होता है तो जानकारी भी देना होगी। उसे मुआवजा दिलाने का भी प्रावधान है। ये भी पढ़ें:
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● महिला बच्चों के साथ अपराध के केस में थाने जाने की जरूरत नहीं है। वे तकनीकी माध्यम से ई एफआइआर करा सकेंगे।
● अब अपराध के मामले सीमा क्षेत्र में नहीं उलझेंगे। देश के किसी भी थाने पर पीड़ित जाएगा तो क्षेत्र नहीं होने के बाद भी वहां शून्य पर केस दर्ज किया जाएगा। ● धारा 111 में बड़े अपराध जैसे कांटेक्ट किलिंग, वसूली, किडनैपिंग करने वाली गैंग पर कार्रवाई होगी तो धारा 112 में छोटे अपराध करने वाली गैंग पर कार्रवाई का प्रावधान है।
● मोबाइल, चेन, पर्स लूट के मामले धारा 302 में रहेंगे। पूर्व में मोबाइल लूट के मामलों में चोरी की धारा दर्ज कर ली जाती थी। ● 5 या 5 से अधिक लोग किसी की जाति, समाज, भाषा के आधार प हत्या, गंभीर घायल करने जैसा अपराध करते हैं तो उसके स्वरूप को मॉब लिचिंग मानकर सख्त कार्रवाई होगी।
● आरोपी के विदेश भागने की स्थिति में केस की सुनवाई जारी रहेगी, सरकार की ओर से वकील उपलब्ध कराया जाएगा। संपत्ति कुर्की का भी प्रावधान है। ● किसी भी केस के गवाह की सुरक्षा के लिए राज्य सरकार को अलग से यूनिट बनाना होगी। जेल में बंद आरोपी अगर संबंधित केस की सजा के प्रावधान में से एक तिहाई समय बंद रह जाता है तो उसकी जमानत के लिए जेल अधीक्षक को अपील करना होगी।
● आदतन अपराधी, फरार होने की आशंका वाले अपराधी, आतंकी गतिविधि या आर्म्स एक्ट के आरोपी को हथकड़ी लगाने का नियम शामिल किया है। ● 3 से 7 साल तक की सजा वाले केस में 14 दिन में प्रांरभिक जांच पूरी करना होगी। इसमें 7 साल से ज्यादा सजा का प्रावधान है, उसमें प्रारंभिक जांच नहीं होगी।
● मेडिकल परीक्षण रिपोर्ट के लिए चक्कर लगाने की जरूरत नहीं है। ई मेल पर मिली रिपोर्ट भी मान्य होगी। ● फारेंसिक अधिकारी व डॉक्टर को कोर्ट सुनवाई में वीडियो कांफ्रेसिंग से उपस्थित होने की अनुमति रहेगी।
● आरोपी ने एक ही तरह का दूसरा केस किया है तो दोनों केस की साथ सुनवाई होगी।