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इंदौर

फिल्म एक मनोरंजन तो एक कला भी

देश के पहले हिंदी सिनेमा विश्वकोश का लोकार्पण

इंदौरApr 05, 2024 / 07:34 pm

रमेश वैद्य

फिल्म एक मनोरंजन तो एक कला भी
इंदौर. फिल्म जनसंचार का बड़ा माध्यम है, फिल्म एक मनोरंजन है तो एक कला भी है। यह बात इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के सचिव सच्चिदानंद जोशी ने देवी अहिल्या विश्वविद्यालय और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र द्वारा स्कूल ऑफ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन के कार्यक्रम में कही। इस मौके पर हिंदी सिनेमा विश्वकोश का लोकार्पण किया गया।
सिनेमा प्रेमी है हमारा समाज
चर्चा में जोशी कहा, हमारा समाज सिनेमा प्रेमी है। हमें सिनेमा की समझ वाले समाज की आवश्यकता है। सिनेमा का जादू उसके समूह से होता है किसी अकेले से नहीं। कला, संस्कृति, रंगमंच, शिक्षा, आगे जाकर समाज की धरोहर है। हम सब इन्हीं से जुड़ते हैं, सुनते हैं, समझते है, सीखते हैं और इन्हें अपनाते है।
सामूहिकता को साधने का माध्यम
डॉ. सोनाली नरगुंदे ने कहा, संस्थान में साप्ताहिक रूप से आयोजित फिल्म शो में छात्रों के अनुसार क्लासिक्स दिखाए जाते हैं, उन्होंने कहा, बिना समूह के कहानी को दिखाना संभव नहीं है। मंजूषा जोहरी ने कहा, उनके समय में पत्रकारिता और सिनेमा के लिए संस्थान और पढ़ाई की इतनी अच्छी सुविधा नहीं थी, जितनी इन विद्यार्थियों को आज मिल रही हैं। संजय द्विेदी ने बताया, सिनेमा में कलाओं का संग्रह है।
सिनेमा ने मुझे सिनेमा के लिए प्रेरित किया
गायक स्वानंद किरकिरे ने कहा, सिनेमा आधुनिक लोक कला है। उसकी विकृति ही उसके विकास का कारण है। चाहे वो आज का सिनेमा हो या पुराना, सभी ने सिनेमा को एक नया आयाम दिया है। उन्होंने कहा सिनेमा ने मुझे शुरू से आकर्षित किया है। उन्होंने कहा, अब युवा बहुत अच्छी शॉर्ट फिल्म बना रहे हैं। कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत डॉ. नीलमेंघ चतुर्वेदी, डॉ. लखन रघुवंशी, डॉ. जितेंद्र जाखेटिया और प्रबल शर्मा ने किया।
‘छोटी-छोटी चीजों में फलसफा ढूंढ़ते थे अब्बास’
इंदौर. संस्था सिनेविजन द्वारा फिल्म ‘लाइक सम वन इन लव’ का प्रदर्शन किया गया। इस फिल्म की अवधि 1 घंटा 45 मिनट थी। फिल्म को साल 2012 के कान्स फिल्म महोत्सव में उच्चतम सम्मान से नवाजा गया था। जीनियस ईरानी फिल्मकार अब्बास कियारोस्तामी की यह अंतिम फिल्म है जो कि उनके जीवनकाल में रिलीज हुई थी। 40 वर्षों तक ईरान की सरजमीं से पूरी दुनिया में प्रतिभा का लोहा मनवाने के बाद अंतिम समय में कुछ फिल्में दूसरे देशों में जाकर भी बनाई थी, लेकिन हर फिल्म में उनका जादुई स्पर्श अलग ही नजर आता रहा। इस फिल्म में भी वह अपने उसी अंदाज में हैं जिसके लिए वे जाने जाते हैं। बस उन ईरानी जगहों और पात्रों की जगह जापानी जगह आ गई है, लेकिन अंत तक आते-आते हमें वे जगहें और पात्र भी ईरानी लगने लगते हैं। यह फिल्म एक ऐसी लडक़ी अकिको (रिन तानाकाशी) की कहानी है जो दिन में एक स्टूडेंट और रात में कुछ और होती है।

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