केंद्र सरकार ने इंदौर समेत देश के कुछ शहरों को भिक्षावृत्ति मुक्त बनाने की योजना बनाई है। पिछले कई दिनों से नगर निगम और संस्था प्रवेश के कार्यकर्ता बड़ी संख्या में भिक्षुकों पर कार्रवाई कर रहे हैं। इसके बावजूद कई मंदिरों और चौराहों पर भिक्षु नजर आ रहे हैं। इस बारे में कलेक्टर आशीष सिंह ने शुक्रवार को प्रशासनिक संकुल में बैठक ली। बैठक में निगमायुक्त शिवम वर्मा, स्मार्ट सिटी सीईओ दिव्यांक सिंह आदि मौजूद थे। सिंह ने कहा कि मंदिरों और चौराहों पर भिक्षुकों को दान देने वालों पर भी कार्रवाई की जाएगी। प्रशासन का मानना है कि ऐसे लोग ही भिक्षुओं को सुधरने का मौका नहीं दे रहे हैं।
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यही कारण है कि अब से भीख लेने वाल के बजाए जिलेभर में भीख लेने वाले के बजाए भीख देने वाले के खिलाफ कार्रवाई करने की बात कही है। कलेक्टर ने कहा कि ऐसे मामलों की कार्रवाई के लिए प्रतिबंधित धारा 144 के तहत आदेश जारी किया जाएगा। आदेश के बाद भीख देने वालों पर जुर्माना लगाया जा सकता है। कलेक्टर ने सात रेस्क्यू दलों को शहर में वाहनों से घूमकर कार्रवाई करने के निर्देश भी दिए।
पैरों पर खड़ा करना प्रयास
संस्था प्रवेश की रुपाली जैन ने बताया कि कुछ भिक्षुक आदतन हैं, जो सड़क किनारे झोपड़ी बनाकर रहते हैं। भीख मांगने के लिए वे और उनके बच्चे सड़क पर आ जाते हैं। बच्चों को शिक्षा से जोड़ा जाएगा तो माता-पिता को रोजगार के लिए ट्रेनिंग दी जाएगी, ताकि वो अपने पैरों पर खड़े हो सकें। अब तक संस्था ने 216 बच्चों को शिक्षा से तो 70 महिलाओं को रोजगार से जोड़ा है। यह भी पढ़ें- इंदौर एयरपोर्ट को मिली बम से उड़ाने की धमकी, MAIL ने मचाया हड़कंप बुजुर्ग पहुंचेंगे आश्रम
मंदिरों के बाहर कई जगह बुजुर्ग भीख मांगते हैं। कइयों को उनके बेटा-बहू ने घर से निकाल दिया है तो कुछ निराश्रित हैं। बैठक में तय हुआ कि ऐसे लोगों का इलाज कराकर उन्हें आश्रम में शिफ्ट किया जाएगा।