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इंदौर

मंदिर की खोली गईं 12 दान पेटियां, निकले सोने-चांदी के आभूषण

किसी ने मां की बीमारी दूर करने की प्रार्थना की तो किसी ने नौकरी के लिए लगाई अर्जी…..

इंदौरJul 21, 2022 / 02:00 pm

Astha Awasthi

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khajrana ganesh temple

इंदौर। शहर के प्राचीन खजराना गणेश मंदिर की दानपेटियां तीन महीने बाद बुधवार को खोली गई। पहले दिन 32 में से 12 पेटियां खोली तो उसमें सोने-चांदी के आभूषण के साथ भक्तों की पत्र भी निकले। पत्र में किसी ने मां को बीमारी दूर करने की प्रार्थना की तो किसी ने नौकरी मांगी। बंद हुए 500-1000 हजार के नोट भी निकले।

दान पेटियों को सुबह सुरक्षा इंतजाम के बीच मंदिर कार्यालय पर लाया गया। इसके बाद कैमरे की निगरानी में मंदिर प्रबंधन समिति, जिला कोषालय, नगर निगम के 32 कर्मचारियों ने दस-पांच, 20, 50, 100, 500 के नोटों के अलावा सिक्कों को अलग किया गया। अलग-अलग नोटों के बंडल बनाए गए। मंदिर के प्रबंधक प्रकाश दुबे ने बताया, दान पेटी में सोने के दो कड़े, दो जोड़ी कान के, एक नाक का काटा, पायजब व चलन से बाहर हुए नोट भी निकले। संभवत: दान राशि की गिनती अगले चार दिन चलेगी।

खजराना गणेश मंदिर बांस की टोकरी में मिलेगा प्रसाद

वहीं अब मंदिर में कई बदलाव किए जा रहे हैं। खजराना मंदिर में गणेशजी का प्रसाद बांस की टोकरी में मिलेगा. यहां झंडे, अगरबत्ती और लड्डू के डिब्बे भी बदले जा रहे हैं. दरअसल मंदिर को प्लास्टिक मुक्त करने का प्रयास में ये बदलाव किए जा रहे हैं। सिंगल यूज प्लास्टिक पर रोक लगने के बाद इस काम में और तेजी आ गई है। एक अगस्त तक मंदिर परिसर को हर तरह के प्लास्टिक से मुक्त करने की तैयारी है। अब तक भक्तों को प्लास्टिक की टोकरी में ही माला व प्रसाद दिया जाता था। इसकी जगह प्रसाद के लिए अब बांस से बनी टोकरी का उपयोग किया जाएगा। प्रसाद के लड्डू भी अब गत्ते से बने पैकेट में दिए जाएंगे। सजावट में भी किसी भी तरह के प्लास्टिक सामान या थर्माकोल का उपयोग नहीं किया जाएगा। मंदिर और मंदिर परिसर में कपड़े के बने झंडे और बैनर ही लगाए जाएंगे। यहां तक कि झंडे की डंडी भी बांस की ही होगी।

अगरबत्ती भी प्लास्टिक की पैकिंग में ही मिलती थी। भक्त इन्हें जलाने के बाद पैकिंग कचरे में फेंक देते हैं। इस पर रोक लगाने के लिए अब अगरबत्ती भी खुली हुई ही दी जाएगी। विशेष बात यह है कि यहां भगवान को अर्पित होने वाले फूलों से ही अगरबत्ती भी बनाई जा रही है। वर्तमान में परिसर में करीब 600 किलो फूलों से रोज करीब 15 किलो अगरबत्ती व धूप बनाई जाती है।

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