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दरअसल, पूरा मामला यूपी के कन्नौज ( Uttar Pradesh’s Kannauj) का है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक बच्चा दिमागी बुखार से पीड़ित था। मगर कोरोना संक्रमण के डर के चलते डॉक्टरों ने उसे घंटों छुआ तक नहीं। नतीजा ये हुआ की समय से इलाज नहीं मिल पाने की वजह से बच्चे ने दम तोड़ दिया।
मासूम की मौत के बाद उसका पिता वहीं अस्पताल परिसर की फ़र्श पर अपने एक साल के बच्चे के शव को चिपकाए घंटो रोता-बिलखता रहा। खबरों के मुताबिक प्रेमचंद ( Prem Chand) का बेटा अनुज (Anuj) कई दिन से बुख़ार से पीड़ित था, वो उसे लेकर अस्पताल पहुंचे तो डॉक्टरों ने कोरोना के डर से बच्चे को 90 किलोमीटर दूर कानपुर ले जाने के लिए कहा। डॉक्टरों ने प्रेमचंद से कहा इसे कोरोना हो सकता है इसे फौरन बड़े सरकारी अस्पताल ले जाओं।
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मीडिया से बात करते हुए प्रेमचंद ( Prem Chand) ने बताया कि मेरे बच्चे की हालत ऐसी नहीं थी कि उसे इतनी दूर अस्पताल में ले जाया जा सके। उसे अगर यहीं इलाज मिल जाता तो उसकी जान बच सकती था। लेकिन यहां के डॉक्टर इलाज तो दूर मेरे बेटे को देखने को तैयार ही नहीं थे। उन्होंने आगे बताया घंटो हाथ-पैर जोड़ने के बाद उसे इमरजेंसी वार्ड में एडमिट किया गया, लेकिन तब तक काफ़ी देर हो चुकी थी।
वहीं अस्पताल के डॉक्टर्स और अधिकारियों पूरे मामले से पल्ला झाड़ लिया है। वहीं कन्नौज के शीर्ष सरकारी अधिकारी राजेश कुमार मिश्रा ने मीडिया से बताया कि बच्चे को आपातकालीन वार्ड में भर्ती कराया गया। मामला बहुत गंभीर था, 30 मिनट के भीतर उसकी मौत हो गई।