डाक सेवा संचार हमारे देश की सबसे पुरानी जनसेवा है जिसके जरिए लोग अपने संदेशों को एक पत्र के माध्यम से भेजा करते थे। और उसके उत्तर का इतजांर भी बड़ी बेसब्री से किया करते थे। आज भी आधुनिक जमाने के साथ ही डाक सेवा अपना काम कर रही है। लेकिन समय के साथ इसमें कई बड़े बदलाव किए गए है।
विश्व डाक दिवस का इतिहास-
यदि आप इसके बारे में जानना चाहते है कि इसकी शुरूआत कब हुई तो हम बताते है कि ब्रिटेन के सर रॉलैंड हिल ने साल 1840 में संदेशों के अदान प्रदान के लिए एक साधन बनाया। जिसके जरिए हाथ से लिखे संदेश एक पत्र के माध्यम से भेजे जाने लगे। और इसी के अधार पर यह रूप डाक सेवा में बदल गया। उन्होंने ही दुनिया की पहली अंतरराष्ट्रीय डाक सेवा शुरू की थी।
इसके बाद से इसका रूप धीरे धीरे विस्तृत हुआ और साल 2018 तक भारत में 1,55,035 डाक घर बन गए। 1 लाख से ज्यादा डाकघर ग्रामीण क्षेत्रों में बनाए गए और 15,862 डाकघर शहरी क्षेत्रों में थे। आपको बता दें भारत में विश्व का सबसे बड़ा पोस्टल नेटवर्क है।
इसके बाद डाकघर को चार कैटिगरी में बांटा गया
प्रधान डाकघर
उप डाकघर
अतिरिक्त विभागीय उप डाकघर
अतिरिक्त विभागीय शाखा डाकघर
भारत में स्पीड पोस्ट की शुरुआत
इसके बाद बदलते समय के साथ इसमें भी कई बदलाव देखे गए। साधन उपलब्ध होने के बाद स्पीड पोस्ट का जमाना आ गया। जिसके माध्यम से डाकसेवाए काफी कम समय में ही हमारे पास तक पंहुचने लगी। बता दें भारत में स्पीड पोस्ट की शुरुआत 1986 में हुई।
डाक विभाग के फायदे
डाक विभाग का बहुत अहम योगदान167 रहता है। आइए जानते हैं डाक विभाग के फायदे…
डाक विभाग से लगभग 82 फीसदी वैश्विक आबादी को होम डिलीवरी का फायदा मिलता है।
डाक विभाग ने 77 फीसदी ऑनलाइन सेवाएं दे रखी हैं।
डाक विभाग ने लगभग 133 पोस्ट वित्तीय सेवाएं मुहैया कराता है।
अंतराष्ट्रीय डाक सेवा से हमें चीजे पांच दिन के अंदर ही मिल जाती हैं