अस्वास्थ्यकर भोजन का सेवन करना, दूषित पानी पीना, शरीर की खराब हाइजीन, आधा पका हुआ मांस, मिट्टी और गंदे वातावरण में खेलना, पालतू जानवरों से संक्रमण होना आदि।
कृमि के लक्षण
पेट में लगातार दर्द रहना, मलद्वार पर खुजली व जलन होना, मतली व उल्टी होना, कब्ज या दस्त, अप्रत्याशित वजन घटना, भूख कम लगना, कमजोरी व थकावट, पेशाब करते समय जलन महसूस होना है।
– इससे वजन बढ़ता है और शारीरिक विकास अच्छा होता है।
– अन्य संक्रमणों के प्रति सुरक्षित रखता है।
– बिना धोए हुए फल, सब्जियां या सलाद न खाएं।
– साफ या उबला हुआ पानी पीएं। पानी की बोतल एक-दूसरे से साझा न करें।
– बच्चों को बाहर नंगे पैर न खेलने दें। घर में आएं तो पैर जरूर धुलवाएं।
डिसक्लेमरः इस लेख में दी गई जानकारी का उद्देश्य केवल रोगों और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के प्रति जागरूकता लाना है। यह किसी क्वालीफाइड मेडिकल ऑपिनियन का विकल्प नहीं है। इसलिए पाठकों को सलाह दी जाती है कि वह कोई भी दवा, उपचार या नुस्खे को अपनी मर्जी से ना आजमाएं बल्कि इस बारे में उस चिकित्सा पैथी से संबंधित एक्सपर्ट या डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें।