एडवोकेट के.सी. जैन द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि देश में हर साल लगभग 40,000 अज्ञात या लावारिस शव मिलते हैं और अज्ञात शवों की डीएनए प्रोफाइलिंग लापता व्यक्तियों से मिलान करने और उनका पता लगाने में मदद कर सकती है।
याचिका में कहा गया है, “डीएनए प्रोफाइलिंग सुविधा की अनुपस्थिति 300,000 से अधिक लापता व्यक्तियों, विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों की दुर्दशा को बढ़ाती है और कई अज्ञात शवों की पहचान में बाधा डालती है।”
2018 में, सुप्रीम कोर्ट ने इसी तरह की याचिकाओं को खारिज कर दिया था, जब केंद्र सरकार ने जवाब दिया था कि वह डीएनए प्रोफाइलिंग के लिए एक कानून पेश करेगी। हालांकि, जुलाई 2023 में उसने डीएनए टेक्नोलॉजी (उपयोग और अनुप्रयोग) विनियमन विधेयक को वापस ले लिया।
याचिका में कहा गया है कि सरकार द्वारा आश्वासन के बावजूद विधेयक को वापस लेने से लापता व्यक्तियों और अज्ञात शवों के संबंध में अस्पष्टता और निष्क्रियता की स्थिति बनी रहती है। महत्वपूर्ण बिंदु:
सुप्रीम कोर्ट ने लापता और अज्ञात शवों के डीएनए डाटा बैंक बनाने की मांग पर सुनवाई की मंजूरी दी।
हर साल देश में लगभग 40,000 अज्ञात या लावारिस शव मिलते हैं।
डीएनए प्रोफाइलिंग लापता व्यक्तियों से मिलान करने और उनकी पहचान में मदद कर सकती है।
सरकार ने 2018 में डीएनए प्रोफाइलिंग के लिए कानून बनाने का आश्वासन दिया था, लेकिन बाद में विधेयक वापस ले लिया।