दफ्तर में लंबे समय तक एक ही जगह बैठकर काम करने से पीठ, कमर और
गर्दन में अकड़न आ जाती है। ऐसे में आराम पाने के लिए आप विभिन्न उपाय करते होंगे, लेकिन यदि लगातार बैठने के कारण आपके कूल्हे सुन्न (
Dead Butt Syndrome) हो जाएं, तो इसके लिए क्या करना चाहिए, यह शायद आपको पता नहीं होगा।
डैड बट सिंड्रोम से बचने के उपाय : Ways to avoid dead butt syndrome
प्रतिदिन वर्कआउट करें एनसीबीआई (Ref) के अनुसार डेड बट सिंड्रोम के कारण कमर, गर्दन, हिप्स और टखनों में दर्द होता है। इस दर्द से निजात पाने के लिए नियमित रूप से व्यायाम करना आवश्यक है। जंप स्क्वॉट्स, बैंड के साथ साइड स्टेप और साइड लंजेस करने से आपको काफी आराम मिल सकता है। सही पोस्चर में बैठें गलत मुद्रा में बैठने से डेड बट सिंड्रोम (Dead Butt Syndrome) की समस्या उत्पन्न हो सकती है। इसलिए यह आवश्यक है कि हम हमेशा सही तरीके से बैठने का ध्यान रखें। झुककर बैठने से बचें और घुटनों को हमेशा 90 डिग्री के कोण पर रखें। इसके साथ ही, बैठते समय पीठ के लिए सहारा लेना भी महत्वपूर्ण है।
लगातार नहीं बैठें घर या कार्यालय में लगातार एक ही स्थान पर बैठने से बचना चाहिए। बीच-बीच में छोटे-छोटे ब्रेक लेना आवश्यक है। यदि संभव हो, तो आप स्ट्रेचिंग करें या थोड़ी देर टहलें। आप हर आधे घंटे में कम से कम 5 मिनट का ब्रेक लेने पर विचार कर सकते हैं।
खेल कूद करें अपने पेल्विक और पीठ की मांसपेशियों को मजबूत और सक्रिय बनाए रखने के लिए खेलों में भाग लें। इसके अतिरिक्त, तैराकी और नृत्य करना भी आपके लिए बहुत लाभकारी होगा।
ग्लूट्स एक्सरसाइज इस व्यायाम से शरीर को अनेक लाभ होते हैं। यह न केवल मांसपेशियों को मजबूत बनाता है, बल्कि शारीरिक विकास में भी सहायक होता है। इसके माध्यम से पीठ के दर्द में भी राहत मिलती है।
ज्यादा देर बैठने से होती है यह बामारी डेड बट सिंड्रोम (Dead Butt Syndrome) के अलावा, लंबे समय तक बैठने से कई अन्य गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं, जैसे हृदय रोग, मोटापा और मधुमेह। यह केवल कार्यालय में घंटों तक एक स्थान पर बैठने का परिणाम नहीं है, बल्कि घर पर कंप्यूटर या लैपटॉप के सामने या टीवी के सामने भी लंबे समय तक बैठने से ये समस्याएं हो सकती हैं। लंबे समय तक बैठने से जोड़ों और मांसपेशियों की ताकत कम हो जाती है, जिससे डीवीटी यानी गहरी नसों में थक्का बनने का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा, यह व्यक्ति की मानसिक स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव डालता है।
डिसक्लेमरः इस लेख में दी गई जानकारी का उद्देश्य केवल रोगों और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के प्रति जागरूकता लाना है। यह किसी क्वालीफाइड मेडिकल ऑपिनियन का विकल्प नहीं है। इसलिए पाठकों को सलाह दी जाती है कि वह कोई भी दवा, उपचार या नुस्खे को अपनी मर्जी से ना आजमाएं बल्कि इस बारे में उस चिकित्सा पैथी से संबंधित एक्सपर्ट या डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें।