अक्सर हम चाय बनाने के बाद फैली गंदगी और समय की बचत के लिए होल टी लीफ या लूज टी लीफ के बजाय टी बैग्स का उपयोग करने लगे हैं।
टी बैग्स का उपयोग केवल चाय बनाने में ही नहीं, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य, त्वचा की देखभाल, बालों की वृद्धि और आंतों के स्वास्थ्य के लिए भी किया जा रहा है।
टी बैग को लेकर क्या कहती है रिसर्च : What does research say about tea bags?
वर्ष 2019 में कनाडा की मैकगिल यूनिवर्सिटी में लूज टी लीफ और टीबैग्स पर एक अध्ययन किया गया। इस अध्ययन के परिणामस्वरूप यह पाया गया कि प्लास्टिक टीबैग आपके कप में हानिकारक कणों को छोड़ सकते हैं। इसके अलावा, यह भी देखा गया कि ये बैग अच्छे बैक्टीरिया को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं।
टी बैग चाय से स्वास्थ्य को होने वाले नुकसान : Harmful effects of tea bag tea on health
एंटी ऑक्सीडेंट्स होने के चांस टी बैग्स में आमतौर पर होल लीफ टी के मुकाबले सीटीसी या क्रश-टियर-कर्ल प्रक्रिया द्वारा निर्मित टूटी हुई पत्तियां, डस्ट और पत्तियों के सूक्ष्म कण होते हैं। इन पत्तियों को बड़े रोलिंग मशीनों में रखा जाता है, जो उन्हें छोटे-छोटे टुकड़ों में काट देती हैं। डायबिटीज के मरीज के लिए नुकसानदायक टी बैग्स से प्राप्त अतिरिक्त कैफीन रक्त शर्करा के स्तर को प्रभावित कर सकता है। हालांकि, टर्मरिक टी, हिबिस्कस टी, सिनामन टी और कैमोमाइल टी जैसी हर्बल चायें एंटी-डायबिटिक होती हैं। फिर भी, कैफीन युक्त टी बैग्स का अधिक सेवन डायबिटीज के रोगियों के लिए हानिकारक हो सकता है।
चाय के असली स्वाद में बदलाव जब चाय की पत्तियां पानी में पूरी तरह से घुल जाती हैं, तब उनका स्वाद और भी बेहतर हो जाता है। टी बैग्स के लिए पत्तियों को बहुत छोटे टुकड़ों में काटा और संकुचित किया जाता है। इस सीमित रूप में चाय का स्वाद उस तरह का नहीं होता, जैसा कि पूरी पत्तियों से बनी चाय में मिलता है।
ब्लीच्ड टी बैग्स का करें प्रयोग टी बैग्स में कभी-कभी ब्लीच का उपयोग किया जाता है, जो चाय के माध्यम से आपके शरीर में जा सकता है। जब इनका ब्लीचिंग के लिए रासायनिक पदार्थों का इस्तेमाल किया जाता है, तो यह उनके स्वाद और पोषण को प्रभावित करता है। यदि आप किसी टी बैग को काटकर उपयोग करना चाहती हैं, तो यह उचित नहीं है। इससे न केवल स्वाद में कमी आती है, बल्कि इसके स्वास्थ्य लाभ भी घट जाते हैं।
डिसक्लेमरः इस लेख में दी गई जानकारी का उद्देश्य केवल रोगों और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के प्रति जागरूकता लाना है। यह किसी क्वालीफाइड मेडिकल ऑपिनियन का विकल्प नहीं है। इसलिए पाठकों को सलाह दी जाती है कि वह कोई भी दवा, उपचार या नुस्खे को अपनी मर्जी से ना आजमाएं बल्कि इस बारे में उस चिकित्सा पैथी से संबंधित एक्सपर्ट या डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें।