इस नई तकनीक को ‘ न्यूएम’ ( न्यूरोनल मेम्ब्रेन-सिलेक्टिव) नाम दिया गया है। यह दिमाग की कोशिकाओं में बदलाव को 72 घंटे तक ट्रैक कर सकती है। वैज्ञानिकों का कहना है कि यह तकनीक बीमारी होने पर और स्वस्थ दिमाग दोनों में दिमाग की कोशिकाओं के बदलाव को देखने में मदद करेगी। दिमाग की कोशिकाओं का काम इंद्रियों से दिमाग तक जानकारी पहुंचाना होता है और ये लगातार बदलती रहती हैं।
अभी तक दिमाग की कोशिकाओं को ट्रैक करने के लिए जीन और एंटीबॉडी का इस्तेमाल किया जाता था, लेकिन ये तरीके कम सटीक होते हैं और लंबे समय तक ट्रैक नहीं कर पाते हैं।
न्यूएम तकनीक दिमाग की कोशिकाओं के डिजाइन के आधार पर बनाई गई है। यह कोशिकाओं से आसानी से जुड़ जाती है और लंबे समय तक उनकी स्थिति पर नजर रख सकती है। साथ ही इससे दिमाग की कोशिकाओं की हाई रेजोल्यूशन इमेज भी ली जा सकती है।
न्यूएम यह बता सकती है कि कौन सी कोशिकाएं पुरानी हो रहीं हैं और कौन सी खराब हो रही हैं। इससे दिमाग की बीमारियों को समझने और उनका इलाज खोजने में मदद मिलेगी,” डॉ. किम यून क्यूंग ने बताया। वह कोरिया इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (KIST) के ब्रेन साइंस इंस्टीट्यूट में हैं।
आने वाले समय में वैज्ञानिक न्यूएम को और बेहतर बनाना चाहते हैं ताकि दिमाग की कोशिकाओं का और भी सटीक विश्लेषण किया जा सके।