( Hathras News ) महीने के पहले मंगलवार को होता है सत्संग
सत्संग सुनने आई एक युवती निर्मला ने बताया कि महीने के प्रथम मंगलवार ( Tuesday ) को यह सत्संग होता है। कांवड़ यात्रा ( Kanwar Yatra ) शुरू होने जा रही है, इसलिए भोले बाबा के सत्संग को सुनने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु ( Devotee ) पहुंचे थे। सत्संग सुनने वालों की संख्या कितनी होगी इसका सहज अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सत्संग स्थल से करीब तीन किलोमीटर तक वाहनों ( Car ) की लंबी लाइन लगी हुई थी। युवती के अनुसार इस बार मंगलवार को करीब 20 हजार लोग सत्संग सुनने के लिए पहुंचे होंगे। सत्संग ठीक चल रहा था सब कुछ सामान्य था बस गर्मी ( Heat ) से श्रद्धालु परेशान थे।
सत्संग खत्म होते ही मच गई भगदड़ ( Hathras News In Hindi )
सत्संग खत्म हुआ तो बाहर निकलने का गलियारा छोटा था। यहां गर्मी से परेशान श्रद्धालुओं ने पहले निकलने की कोशिश की तो कुछ श्रद्धालु गिर पड़े। इससे चीख-पुकार मच गई और देखते ही देखते भगदड़ मच गई। गिरने वालों में अधिक संख्या महिला और बच्चों की थी। इससे पहले कि लोग कुछ समझ पाते सभी बाहर निकलने के लिए एक दूसरे को धकियाएते हए आगे बढ़ने लगे। इससे स्थिति और भयावह हो गई। जो श्रद्धालु गिर गए उन्होंने उठने का मौका ही नहीं मिला, इनके ऊपर दूसरे श्रद्धालु चढ़ते गए और इस तरह एक के बाद एक श्रद्धालुओं का गिरना शुरू हो गया। इस तरह यहां भगदड़ मच गई।
सब लोग घबरा गए थे इसी कारण ज्यादा मौत हुई ( Hathras News )
युवती ने बताया कि जब हल्ला मचा तो सत्संग में आए अन्य श्रद्धालुओं को लगने लगा कि जो श्रद्धालु बाहर निकल जाएंगे सिर्फ वही बच सकेंगे। इसी सोच के साथ श्रद्धालु अब बाहर निकलने के लिए पुरजोर कोशिश करने लगे और एक तरह से बाहर क ओर दौड़ पड़े। इससे हालात और बिगड़ते चले गए और भगदड़ मचने के साथ ही एक के बाद एक श्रद्धालु गिरने लगे। इन्हे पीछे से आ रहे श्रद्धालु कुचलते हुए आगे बढ़ने लगे। पीछे से भीड़ का दबाव आगे के श्रद्धालु नहीं झेल पाए। पीछे से आने वाले फोर्स की वजह से लड़खड़ाकर गिरने लगे। इस तरह हाद्सा और दर्दनाक होता चला गया।
अंदर सब डर गए थे, ”लग रहा था जैसे आज सब मारे जाएंगे”
निर्मला ने बताया कि वो भी बेहद डर गई थी। चारों ओर से चीख-पुकार की आवाज सुनाई दे रही थी। कोई कुछ भी नहीं समझ पा रहा था। सुरक्षाकर्मी भी कुछ नहीं कर पाए। लोगों को समझाने की कोशिश की जा रही थी लेकिन हालात इतने भयावह हो गए थे कि किसी को कुछ भी समझ नहीं आ रहा था। लोग बस किसी तरह अपनी जान बचाने के लिए भाग रहे थे और बाहर निकलना चाहते थे। यही कोशिश सैकड़ों श्रद्धालुओं की जान पर बन आई।