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EPFO के इस कदम से होगी बल्ले बल्ले, बेसिक सैलरी को बढ़ा 21,000 रुपए करने की तैयारी

श्रम व रोजगार मंत्रालय ने प्रस्ताव तैयार किया है। इसके तहत सामाजिक सुरक्षा कवरेज बढ़ाने के लिए वेतन सीमा में बढ़ोतरी करने की योजना है।

नई दिल्लीJul 03, 2024 / 11:05 am

Anand Mani Tripathi

इस महीने पेश होने वाले आम बजट में केंद्र सरकार सामाजिक सुरक्षा कवरेज को बढ़ाने के लिए बड़ा कदम उठाने की तैयारी में है। बजट में कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के लिए सैलरी की अधिकतम सीमा बढ़ सकती है। रिपोट्र्स के मुताबिक, सामाजिक सुरक्षा कवरेज बढ़ाने के लिए ईपीएफओ में वेज लिमिट (वेतन सीमा) को मौजूदा 15,000 रुपए से बढ़ाकर 21,000 से 25,000 रुपए तक किया जा सकता है। ईपीएफओ के लिए वेतन सीमा को बढ़ाने का प्रस्ताव पिछले कई वर्षों से ठंडे बस्ते में पड़ा था। अब श्रम व रोजगार मंत्रालय ने इस प्रस्ताव पर दोबारा विचार किया है और वित्त मंत्रालय को भेजा है। इससे कर्मचारी पेंशन योजना (ईपीएस) का दायरा बढ़ जाएगा।

इनहैंड सैलरी घट जाएगी

जानकारों का कहना है कि वेतन सीमा बढ़ाने से सरकार और निजी क्षेत्र दोनों पर वित्तीय बोझ काफी बढ़ जाएगा, क्योंकि इससे नियोक्ता की ओर से ईपीएफ और ईपीएस में किया जाने वाला योगदान काफी बढ़ जाएगा। इससे रिटायरमेंट के बाद कर्मचारियों को अधिक पेंशन मिलेगी, पर उनकी टेकहोम सैलरी यानी इनहैंड सैलरी घट जाएगी।

यह होगा असर

नियोक्ता की ओर से किए गए योगदान का 69.4त्न ईपीएस (कुल बेसिक सैलरी का 8.33त्न) में जाता है। वहीं 30.5त्न यानी कुल बेसिक सैलरी का 3.67त्न ईपीएफ अकाउंट में जाता है। ईपीएफओ के लिए अभी बेसिक सैलरी की सीमा 15,000 रुपए होने से कर्मचारी पेंशन स्कीम (ईपीएस) में अधिकतम योगदान 1250 रुपए है, जो बेसिक सैलरी 21,000 रुपए होने पर बढक़र 1749 रुपए हो जाएगा। इससे रिटायरमेंट के बाद कर्मचारियों को अधिक पेंशन मिलेगी। पीएफ खाते में जाने वाली योगदान भी बढ़ जाएगा। लेकिन टेकहोम सैलरी घट जाएगी।

पेंशन कवरेज का दायरा बढ़ेगा

ईपीएफ नियमों के मुताबिक, अगर किसी कर्मचारी की बेसिक सैलरी अभी 15,000 रुपए से अधिक है तो वे ईपीएस से नहीं जुड़ सकते, भले ही वो ईपीएफ स्कीम से जुड़े हों। लेकिन अगर ईपीएफओ के लिए वेज लिमिट को 15,000 रुपए से बढ़ाकर 21,000 रुपए या 25,000 रुपए कर दिया जाता है तो वैसे कर्मचारी भी ईपीएस योजना से जुड़ पाएंगे, जिनकी बेसिक सैलरी 15,000 रुपए से अधिक है। ऐसे कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद पेंशन मिल सकेगी।
लाखों श्रमिकों को होगा लाभ

अधिकारियों ने बताया कि यदि सरकार अधिक से अधिक श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा के दायरे में लाना चाहती है तो उसे इस दिशा में आगे बढऩा होगा। अनुमान है कि बढ़ी हुई वेतन सीमा से लाखों श्रमिकों को लाभ होगा, क्योंकि अधिकांश राज्यों में न्यूनतम मजदूरी 18,000 से 25,000 रुपए के बीच है। अभी की 15,000 वेतन सीमा की वजह से ऐसे कर्मचारी पेंशन, बीमा जैसे सामाजिक सुरक्षा से वंचित हो जाते हैं।

2014 में हुआ था बदलाव

ईपीएफओ के तहत वेतन सीमा में आखिरी बार साल 2014 में बदलाव हुआ था। तब इसे 6,500 रुपए से बढ़ाकर 15,000 रुपए किया गया था। इससे उलट कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआइसी) में भी वेतन की सीमा वर्ष 2017 से ही 21,000 रुपए है।

पीएफ में कितना करते हैं योगदान?

कर्मचारी और नियोक्ता, दोनों ईपीएफ खाते में मूल वेतन प्लस महंगाई भत्ते का समान रूप से 12% समान योगदान करते हैं। कर्मचारी का पूरा योगदान भविष्य निधि खाते (ईपीएफ) में जमा होता है, वहीं नियोक्ता के योगदान का 8.33% कर्मचारी पेंशन योजना (ईपीएस) में जाता है और शेष 3.67% पीएफ खाते में जमा होता है।

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