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यह है पूरा मामला
उत्तर प्रदेश में हापुड़ जिले के बाजेधा खुर्द गांव में पिछले वर्ष लिंचिंग में कासिम नाम के एक शख्स की हत्या कर दी गई थी। इस मामले में दूसरा पीड़ित और एक मात्र चश्मदीद समीउद्दीन ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी। इस याचिका में लिंचिंग केस का ट्रायल उत्तर प्रदेश से बाहर करवाने की भी मांग की थी। वहीं, हापुड़ लिंचिंग मामले पर सपा के सांसद जावेद अली खान ने कहा था कि इस मामले में आरोपी के खिलाफ नए सिरे से जांच होनी चाहिए, जिस पुलिस अधिकारी ने केस को कमजोर किया है, उसकी भूमिका की भी जांच होनी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट पहले भी दे चुका है दिशा-निर्देश
आपको बता दें कि देश में बढ़ रही लिंचिंग की घटना को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहले ही सख्ती दिखा चुका है। लिंचिंग के मामले में सुनवाई के बाद 17 जुलाई 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने विस्तार से एक खाका पेश किया था। इसमें बताया गया ता कि भीड़ की हिंसा को रोकने के लिए पहले और बाद में पुलिस क्या-क्या करे। हालांकि, पुलिस के पास पहले से ही पर्याप्त कानूनी अधिकार हैं, लेकिन पुलिस आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के बजाए, उन्हें बचाने की कोशिश करती ज्यादा नजर आई थी। दरअसल, पुलिस की फाइल में उनकी भूमिका कुछ और है, मगर आरोपियों ने एनडीटीवी के खुफिया कैमरे पर अपनी भूमिका कुछ और कबूल की थी। मुख्य आरोपी ने न सिर्फ कासिम को मारने की बात स्वीकार की थी, बल्कि उसके बयान में ज़हर और नफ़रत भी झलक रही थी, जो उनके दिमाग़ में भर दिया गया है।
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मुख्य आरोपी जमानत पर हो चुका है रिहा
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में हापुड़ जिले के बाजेधा खुर्द गांव में बकरी का कारोबार करने वाले कासिम कुरैशी को पीट-पीटकर मार डाला गया था। वहीं, उन्हें बचाने आए एक बुजुर्ग समीउद्दीन को भी उपद्रिवयों की भीड़ ने लहूलुहान कर घायल कर दिया था। लेकिन पुलिस ने गाय के नाम पर हत्या को रोड-रेज का मामला बना दिया था। यही वजह है कि इस मामले में 9 आरोपियों में से मुख्य आरोपी राकेश सिसोदिया समेत 4 को कोर्ट से जमानत मिल गई। दर्ज FIR के मुताबिक राकेश और 8 दूसरे लोग दोनों को लाठी-डंडों से पीटने के मामले में आरोपी हैं। लेकिन कोर्ट में ज़मानत की मांग करते वक़्त राकेश ने कहा था कि हमले में उसका कोई रोल नहीं है और वह मौके पर मौजूद ही नहीं था।
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इसके बाद कोर्ट ने आरोपी की भूमिका पर कोई विचार ज़ाहिर किए बिना ही ज़मानत दे दी, लेकिन इस घटना के मुख्य आरोपी ने एनडीटीवी के स्टिंग ऑपरेशन में यह कहता हुआ दिखा था है कि जेल में 5 हफ्तों के दौरान उसने जेल अफसरों और कर्मचारियों को भी बड़ी शान से बताया कि उसने क्या किया। उसे अपने किए पर कोई पछतावा नहीं है। वह बहुत ही शान के साथ मुस्लिमों के प्रति अपनी नफ़रत को लेकर गर्व महसूस करता दिख रहा है। वह ठाठ से यह बताता दिखा था कि किस तरह उसने जेलर के सामने सब कुछ बताया।